Article By ANAND VISHWAKARMA

Tuesday, 27 December 2016

अब रेहटी में भी मिलेगा 65 रूपए में एलईडी बल्व


एलईडी मेले का आयोजन 31 दिसंबर को 
नगर के पोस्ट ऑफिस में वर्ष के आखिरी दिन 31 दिसंबर को एक एलईडी मेले का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें शासन द्वारा बिजली बचत के लिए एलईडी बल्व, ट्यूब लाईट और पंखे न्यूनतम दर पर दिए जाएंगे। भारत सरकार द्वारा संचालित एलईडी मेले में पंखा मात्र 1150 रूपए, ट्यूबलाईट 230 रूपए, और एलईडी बल्व 9बाट 65 रूपए में दिया जाएगा। भारत सरकार की इस योजना से न्यूनतम दर पर दिए जाने वाले इलेक्ट्रिक समान से बिजली की बचत होगी। वहीं यह सभी बाजार मूल्य में चौगुनी कीमत पर लोग खरीदते हैं। यह मेले का आयोजन नगर के पोस्ट ऑफिस के सामने आयोजित होगा। मेले में बिजली बचत के लिए समान खरीदने वालों के लिए अपील करने वालो में उप डॉक पाल राकेश इवने, पोस्ट मेन प्रेमसिह दत्त, कैलाश शर्मा शामिल है। वहीं मेले में इलेक्ट्रिक समान लेने वाले लोगों को अपना आधार कार्ड में दिखाना होगा। 


Saturday, 12 November 2016

जानिए 2000 रूपए की मिसप्रिंट का सच

सोशल मीडिया पर लोगों को अपने विचार व्यक्त करने की आजादी होती है। हालांकी इनकी पोस्ट पर कोई प्रमाणिकता नही होती है। लेकिन फिर भी लोग इन पर बिना तर्क किए विश्वास कर लेते हैं। ऐसी ही भारत सरकार द्वारा बैन किए गए  नोटों की खबर से लोग तरह-तरह की पोस्ट कर रहे हैं। कोई इनके माध्यम से अफवाह भी फैला रहा है। जिसमें वे कह रहे हैं कि २००० रूपए में दोन हजार रूपया गलत छप गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह सही शब्द है। इसे कोंकणी भाषा में लिखा गया है। भारत सरकार को हिंदी भाषा में इन भाषाओं के बाक्स में लिखने की जरूरत नही है। क्योंंकि पूरे नोट में पहले ही हिंदी भाषा में दो हजार रूपया लिखा है। 
देखते ही देखते नगर की सभी दुकानें अचानक बंद हो गई- 
इन टैक्स की अफबाहों ने नगर का किया बाजार बंद
शनिवार को लोग उस समय असंमस में थे। जब एक के बाद एक दुकानों की शटर देखते ही देखते गिरने लगी। लोग समझे इससे पहले पता चला कि इनकम टैक्स वालों का नगर में कहीं छापा पड़ा है। दोपहर करीब 12 बजे के बाद पूरा नगर की दुकानें बंद हो गई। लेकिन यह कोई नही बता पाया कि इनकम टैक्स का छापा किसके यहां और किस बाजार में पड़ा है। यह केवल कोरी अफबाहें शनिवार को पूरे दिन चलती रही। और लोग परेशान होते रहे। तरह-तरह की अफबाहों का बाजार गर्म होने से लोग कई व्यापारियों का नाम गिना रहे थे। जब मीडिया वहां पहुंची तो यह तो केवल कोरी अफबाहें ही सावित हुई। यह सिलसिला दोपहर 12 बजे मंडी से शुरू हुआ। जो शाम तक चलता रहा। किसी ने भी इनकम टैक्स वालों के वाहन या उन्हें नही देखे। इससे इस बात का पता चलता है कि नगर में आयकर की चोरी कितनी अधिक हो रही है। 


Wednesday, 26 October 2016

देशी कट्टा और तेंदूए की खाल के चारो आरोपियों को जैल भेजा

निज संवाददाता रेहटी
सलकनपुर क्षेत्र में तेंदूए की खाल बेचने के लिए चार आरोपियों को बुधवार को वन विभाग ने बुदनी न्यायालय में पेश किया गया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया है। गौरतलब है कि इन चारो आरोपियों में जो प्रेमसिंह चंद्रवंशी जिसके पास से एक देशी कट्टा बरामद हुआ था। यह आरोपी बहुत शातिर बताया जाता है। इसके अपराध के तार कई गिरोह से मिलने की पूर्ण संभावना बनी हुई है। क्योंकि जब वन विभाग इन आरोपियों के मोबाईल जब्त कर रहे थे। उसके पहले मुख्य आरोपियों प्रेमसिंह चंद्रवंशी ने अपने मोबाईल के पूरे नंबर और मोबाईल की रिकार्डिंग तत्काल डिलीट कर दी। मोबाईल की डिटेल से और मोबाईल में रिकार्डिंग से इसके अपराध के तार एक बड़े गिरोह की ओर इशारा कर रहे हैं। तेंदूए की खाल के अलावा किस-किस अपराध में यह आरोपी लिप्त है। इसका पता लगाने के लिए वन परिक्षेत्र अधिकारी रेहटी रितु तिवारी ने बताया कि बालाघाट में संपर्क कर इस आरोपी की पूर्ण जानकारी ली जा रही है। इन चार आरोपियों में एक अतिथि शिक्षक भी है वहीं दो आरोपी भी साथ हैं। सन २००४ में एसआई से  बर्खाश्त आरोपी प्रेमसिंह चंद्रवंशी की बाईक पर अभी भी पुलिस लिखा हुआ है। वन विभाग ने इन आरोपियों के पास से दो बाईक भी जब्त की है। वहीं वन विभाग के काफी प्रयास के बाद भी यह आरोपियों ने यह नही क बूला है कि देशी कट्टा इन्होने अपने पास क्यों रखा। वन विभाग के बार-बार प्रयास करने के बाद आरोपी हर बार यही कहते रहे है कि रात्रि में लाडक़ुई क्षेत्र से निकलने में हमें डर बना रहता था। इसलिए यह अवैध कट्टा साथ रखते थे। अगर इस मामले को आगे गंभीरता से लिया गया तो इस देशी अवैध कट्टे को लेकर इन आरोपियों केअन्य वारदातों में लिप्त होने की बात सामने आ सकती हैं। 

चारो आरोपियों को न्यायालय में पेश करने के बाद चारो को न्यायालय ने जेल भेज दिया है। और वन विभाग की जांच अभी जारी है। चारो आरोपियों की डिटेल्स भी ली जा रही है। 
सुश्री रितु तिवारी, रेंजर रेहटी

Tuesday, 25 October 2016

रेहटी वन विभाग ने देशी कट्टा और तेंदूए की खाल के साथ आरोपियों को पकड़ा


वन विभाग रेहटी और क्षेत्रीय टाईगर स्टाईक फोर्स की संयुक्त टीम ने सलकनपुर क्षेत्र में तेंदूए की खाल बेचने से पहले 4 आरोपियों को धर दबोचा है। चारो आरोपियों के पास से तेंदूएं की खाल, 2 बाईक, और 1 देशी कट्टा बरामद कर हिरासत में लिया है। चारो आरोपियों ने देशी कट्टा अपने पास क्यों रखा, इस पर से अभी पर्दा नही उठ सका है। जो गहन जांच का विषय है। और अपराधी कब से वन्य प्राणियों की खाल बेचते आ रहे हैं इस पर से भी पर्दा उठना चाहिए। मंगलवार को पूरे दिन चली वन विभाग और स्टाईक फोर्स की कार्रवाई के बाद वन विभाग ने आरोपियों को हिरासत में रखा गया। और आज बुधवार को इनको न्यायालय में पेश किया जाएगा। आरोपियों के पास से तेंदूए की खाल और कट्टा जब्त होने के बाद चौकाने वाली बात यह है कि इन आरोपियों में एक एसआई टर्मिनेट है जो अपराध में लिप्त है। वहीं दूसरा इसमें एक अतिथि शिक्षक भी शामिल है। देशी कट्टे के साथ आरोपियों के पास से कोई जिंदा कारतूस नही मिल सके हैं। जो आरोपी कहीं छिपाने में सफल हो गए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपियों के पास देशी कट्टा होने से कई अपराधों में लिप्त होने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है। आखिर वन विभाग रेहटी की वन परिक्षेत्र अधिकारी रितु तिवारी की सघन पूछताछ जारी है। जहां आगे भी कुछ खुलासा होने की पूर्ण संभावना बनी हुई है। 
आखिरकार ढाई माह पहले आई वन परिक्षेत्र अधिकारी युवा लडक़ी रितु तिवारी और उनकी टीम ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए चार आरोपियों को धर दबोचा है। और इन आरोपियों को पकडऩे के लिए वन विभाग ने सूझ बूझ का परिचय देकर इन आरोपियों को सलकनपुर और बोरी के बीच एक आश्रम के पास पकड़ा। रितु तिवारी के साथ डिप्टी रेंजर एचसी त्यागी, वन रक्षक आरएन पांडे, देवी सिंह भामर, हरीश माहेश्वरी, राधेश्याम की भूमिका भी सराहनीय रही है। यह सब वन विभाग के एसडीओ वीपी सिंह के मार्गदर्शन में हुआ। क्षेत्रीय टाईकर स्ट्राईक फोर्स होशंगावाद के एसडीओ संदेश माहेश्वरी, वन रक्षक मुकेश द्विवेदी, पदम सिंह राजपूत, अभिषेक उपाध्याय की मेहनत से भी आरोपियों तक वन विभाग पहुंचते हैं। पकड़े गए आरोपियों में ओमप्रकाश इक्के पिता चंपालाल इक्के उम्र 45 वर्ष निवासी ग्राम निमाडदी जिला देवास, सालिगराम पिता जयनारायण इवने उम्र 32 वर्ष ये भी ग्राम निमाड़दी, सतीष मशकोले पिता कैलाश मसकौले उम्र 29 वर्ष निवासी निमाड़दी, प्रेमसिंह चंद्रवंशी पिता भगवान सिंह चंद्रवंशी उम्र 48 वर्ष निवासी सीहोर है। चौकाने वाली बात यह है कि इन आरोपियों में से प्रेमसिंह चंद्रवंशी जो 2004 में रिश्वत के मामले में टर्मिनेट हो चुका है। जो एसआई पुलिस में बालाघाट में पदस्थ था। वहीं सतीष अतिथि शिक्षक है जो मिडिल स्कूल निमाड़दी में पड़ाता है। 
चंद्रवंशी सेे बना डीपी मिश्रा 
आरोपियों में मुख्य सरगना प्रेमसिंह चंद्रवंशी ने अपराध को अंजाम देने के लिए अपनी जाति ही बदल डाली और वह चंद्रवंशी से डीपी मिश्रा बन गया। सबसे पहले प्रेमसिंह चंद्रवंशी ने अपना नाम डीपी मिश्रा ही बताया था लेकिन वन विभाग की वन परिक्षेत्र अधिकारी रितु तिवारी की कड़ी पूछताछ के बाद वह अपने को रोक नही पाया और उसने कहा कि मैं डीपी मिश्रा नही हूं मेरा नाम प्रेमसिंह चंद्रवंशी है। इन आरोपियों से सख्ती से पूछताछ  की जाए तो कई बड़े खुलासे हो सकते हैं। अब देखना यह है कि वन विभाग इन आरोपियों से क्या-क्या कबूल करवाता है। 
शेर, तेंदूए की खाल तांत्रिक विद्या के काम आती है
आरोपी सतीष का कहना है कि ये खाल हम सलकनपुर क्षेत्र में एक महात्मा को देने आए थे। इससे पहले हम पकड़े गए। बताया जाता है कि तेंदूए और शेर की खाल तांत्रिक विद्या के काम भी आती है। जो लाखों रूपए में बेची जाती है। 

Thursday, 13 October 2016

अब तहसील में सर्वाधिक अंक लाने पर मिलेगा एक लाख का पुरुस्कार : शिवराज सिंह चौहान

निज संवाददता रेहटी 
ग्राम वासनिया के गरीबों को अब आवास के लिए 1 लाख 25 हजार रूपए और शौचालय के लिए 12 हजार अलग से दिया जाएगा। बुदनी विधान सभा का वासनिया खुर्द वही पहला गांव हैं, जहां 2013 के चुनाव में भाजपा के पक्ष में सर्वाधिक मतदान करने वाला पहला गांव है। जहां भाजपा को 429 में से 425 मत मिले थे। वहीं कांग्रेस को मात्र 4 मत मिले थे। वासनिया खुर्द में अभार व्यक्त करने के साथ ग्रामीणों को कई सौगात देने जा रहा हूं। यह बातें गुरूवार को रेहटी तहसील के ग्राम बासनिया खुर्द में एक आमसभा को संबोधित करते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कही। उन्होने ग्राम वासनिया में बिजली सव स्टेशन समर्थन मूल्य की तुलाई ग्राम में ही होगी। किसानों के लिए 400 हैक्टेयर में सिचाई का पानी उपलब्ध कराना सहितं ग्राम वासनिया खुर्द को जोडऩे के लिए सभी नई सडक़ें बनाने की सौगात दी है। सीएम का ग्राम वासनिया खुर्द पहुंचने पर ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया। इसके साथ ही उन्होने रेहटी बुदनी, नसरूल्लागंज के  कक्षा 10वीं के छात्र-छात्राओं को तहसील में सर्वाधिक अंक आने पर उन्हें एक लाख रूपए का पुरुस्कार, द्वितीय को 50 हजार रूपए, तृतीय को 25 हजार रूपए इसी प्रकार कक्षा 12 में सर्वाधिक अंक पर 1 लाख 25 हजार, द्वितीय को 75 हजार और तृतीय को 50 हजार रूपया दिया जाएगा। वहीं उन्होने छात्र-छात्राओं के लिए कई सौगात दी। इसके साथ प्रधानमंत्री उज्जवला गैस कनेक्शन भी बांटे। और लाड़ली लक्ष्मी योजना के चैक भी वितरित किए। तथा किसानों को पट्टे भी वितरित किए। सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ उनके साथ आए ज्यैष्ठ पुत्र कार्तिकेय चौहान ने भी सभा को संबोधित किया। सीएम के साथ उनकी  धर्मपत्नी साधना सिंह चौहान, प्रभारी मंत्री रामपाल सिंह, वन विकास निगम अध्यक्ष गुरूप्रसाद शर्मा, मार्कफेड अध्यक्ष रमाकांत भार्गव, बेयर हाऊस कारपोरेशन अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राजपूत, भाजपा प्रदेश मंत्री रघुनाथ सिंह भाटी, नगर परिषद अध्यक्ष सुनिता हरिनारायण चौहान, राज्य लघु वनोपज के प्रदेश उपाध्यक्ष रामनारायण साहू, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष गजराज सिंह चौहान, नगर परिषद उपाध्यक्ष गजराज  सिंह चौहान,  राजेंद्र पटेल, पार्षद अनिल जिराती, सुरेश चौहान, प्रदीप पटेरिया सहित जिला कलेक्टर सुदाम खांडे, एसपी मनीष कपूरिया, एसडीएम बृजेश सक्सेना, तहसीलदार राजेंद्र जैन, एसडीओ फारेस्ट वीपी सिंह, वन परिक्षेत्र अधिकारी रेहटी रितु तिवारी  सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे। 
16 सूत्रीय मांग पत्र ग्रामीणों ने सौंपा
वासनिया खुर्द में 125 केवी विद्युत सव स्टेशन, रेहटी जाजना मैन रोड से वासनिया खुर्द होते हुए दिग्बाड़ तक नहर और सडक़ का निर्माण, वासनिया खुर्द से बोरघाटी सडक़ निर्माण, नांदिया खेड़ा से वासनिया सडक़ निर्माण, ग्राम दिग्बाड़ में सोसायटी केंद्र का निर्माण, रेहटी जाजना सडक़ पर यात्री प्रतीक्षालय का निर्माण, हैंडपंप लगाने की मांग, वासनिया खुर्द स्थित बड़ा झाड़ जंगल में धनकोट में 50 वर्ष से किसान खेती करते आ रहे हैं इनकी नोइयत परिवर्तित करने की मांग, गेहूं का समर्थन मूल्य खरीदी केंद्र निर्माण, श्यामु गांव से वासनिया खुर्द 12 किमी सडक़ निर्माण, वासनिया खुर्द धनकोट टप्पर में इंदिरा आवास निर्माण की मांग, ग्राम पंचायत भवन निर्माण की मंाग, उप स्वास्थ्य केंद्र खोलने की मांग, वासनिया खुर्द में प्रायमरी और मिडिल स्कूल में शिक्षकों की पूर्ति करने के संबंध में, वासनिया खुर्द में मांगलिक भवन निर्माण, वासनिया और आसपास के 20 गांव में 400 से 500 हैक्टेयर असिंचित भूमि को सिंचित करने के लिए कोलार नहर की लाईन डालने की मांग, वासनिया खुर्द में चबूतरा निर्माण, उचित मूल्य दुकान निर्माण की मांग, पुरानी सडक़ों पर पुन: डामरीकरण और सडक़ के चौड़ीकरण की मांग ग्रामीणों ने की थी। जिसमें से 10 मांगे मुख्यमंत्री ने स्वीकृत करने की घोषणा की है शेष मांगों पर जांच कराकर कार्यवाही करेंगे। 

Sunday, 9 October 2016

सीएम ने चड़ाया माता के दरबार में चांदी का मुकुट

निज  संवाददाता रेहटी 
मां विजयासन दरबार सलकपुर में अष्टमी की रात्रि को माता के भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। महानिशा पूजा में तीन लाख से अधिक श्रद्धालु सप्तमी और अष्टमी को माता के दर्शन करने पहुंचे। यह श्रद्धालु माता के दरबार में सीड़ी मार्ग, सडक़ मार्ग और रोप-वे से पहुंच रहे थे। हर तरफ जाम के हालात थे। दो दिनों तक बार-बार सडक़ और सीड़ी मार्ग पर जाम लगता रहा। लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ कम नही हुई। अष्टमी होने के कारण श्रद्धालु जल्द ही दर्शन करके अपने अपने घर पहुंचने की जल्दी में सबसे पहले माता के दर्शन करने की होड़ में लगे रहे।
रात्रि भर खुला रहा माता का दरबार
मां विजयासन के दरबार में सप्तमी की रात्रि को 12 महा निशा पूजा होने के कारण माता के दरबार में पूरी रात माता के भक्तों का जमावड़ा रहा। रात्रि 12 बजे पूरे वैदिक रीति रिवाज से मां विजयासन की पूजा अर्चना के साथ हवन का कार्यक्रम चालू हुआ। जो 5 बजे तक चला। हवन के समावन अवसर पर महाआरती का आयोजन माता के दरबार में किया गया।
प्रदेश की सुख और समृद्धि का आशीर्वाद लेने पहुंचे शिवराज सिंह चौहान
माता विजयासन के दरबार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चैत्र और शारदीय नवरात्र में महानिशा पूजा के बाद अष्टमी को मां विजयासन के दर्शन करने और आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। शारदीय नवरात्र में अष्टमी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मां विजयासन को चांदी का मुकुट भेंट किया। पूजा अर्चना कर संपूर्ण मप्र की जनता की सुख समृद्धि और प्रदेश के विकास की माता से आराधना की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान धर्म पत्नी साधना सिंह, भाजपा संगठन मंत्री रघुनाथ सिंह भाटी, गुरूप्रसाद शर्मा के साथ दर्शन करने पहुंची। 


Friday, 7 October 2016

क्षेत्र के कलवाना स्कूल को मिलेगा स्वच्छता का राष्ट्रीय पुरुस्कार

निज संवाददाता रेहटी

जज्बा मेहनत और लगन हो तो हर प्रयाश सफल हो जाता है। बस हमें जरूरत है तो मेहनत और लगन की। यह सब कर दिखाया है रेहटी के समीवर्ती प्रायमरी स्कूल कलवाना के प्रधानाध्यापक शिक्षक शिक्षिकाएं और छात्रों ने। जिसका स्वच्छता अभियान में राष्ट्रीय स्तर पर प्रायमरी स्कूल कलवाना राष्ट्रीय पुरुस्कार के लिए शामिल किया गया है। यह जज्वा और मेहनत यहां के प्रधानाध्यापक सीताराम जाट के अथक प्रयास से यह संभव हुआ है। जहां उन्होने 5  स्टाफ और 134  छात्रों की मदद से यह मुकाम हासिल किया है। प्रधानाध्यापक सीताराम जाट ने बताया कि यह हमारा एक वर्ष का प्रयास था। जो पूरी तरह से सफल हुआ है। जहां स्वच्छता अभियान की ट्रेनिंग होने के बाद मन में ठान लिया था कि स्कूल को पूरी तरह से स्वच्छ बनाकर और प्रतिदिन साफ-सफाई कर इसको स्वच्छता की अग्रणीय श्रेणी में रखना है। यहां मध्यान्ह भोजन करने के पहले सभी बच्चे साबुन से हाथ धोकर ही भोजन करते हैं। यहां बच्चों की बाल केबिनेट भी बनाई गई है। जो प्रतिदिन अपना काम सुचारू रूप से करती है। स्कूल की प्रतिदिन साफ सफााई सभी कक्षाओं में डस्टबिन रखने के साथ यहां अशोक और कई प्रकार के जो पेड़ पौधे लगाए गए हैं, उनकी प्रतिदिन देखभाल करना और स्कूल की दीवारों पर स्वच्छता के स्लोगन लिखकर स्वच्छता का संदेश देना, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो स्वच्छता अभियान चला रखा है, उसमें पूरी तरह से स्कूल खरा उतरना यह भी हमारा प्रयास रहा है। मुझे खुशी है कि हमारी मेहनत रंग लाई है। और एक छोटे से गांव का स्कूल राष्ट्रीय स्तर पर चयन हुआ है। इसे राष्ट्रीय पुरूस्कार मिलने जा रहा है। वहीं उन्होने यह भी बताया कि मुझे पे्ररणा के लिए अन्य स्कूलों में जाना पड़ता था। और जो नई चीज उन स्कूलों में देखने को मिलती थी, वह मैं स्कूल में उचित ढंग से करता था। और परिणाम हमें बहुत ही सार्थक मिले हैं। स्कूल के राष्ट्रीय चयन के बाद आगे भी स्वच्छता का संदेश देते हुए स्कूल को साफ-सुथरा और हरा-भरा रखा जाएगा। 

स्कूल का स्टाफ और छात्रों की मदद से स्कूल में स्वच्छता को लेकर कोई कसर नही छोड़ी है। और आगे भी स्वच्छता को लेकर एक तिनका भी स्कूल में नजर आता है तो हम तुरंत साफ-सफाई करते हैं। 
सीताराम जाट, प्रधानाध्यापक प्रायमरी स्कूल कलवाना

Thursday, 6 October 2016

नवरात्र के छटवे दिन दरबार में 70 हजार श्रद्धालु पहुंचे दर्शन करने

निज संवाददाता रेहटी

नवरात्र में पंचमी पर मां विजयासन का दरबार विशेष प्रकार से सजाकर माता का विशेष श्रंगार किया जाता है। और आज के दिन दर्शन करने का लाभ अधिक मिलता है। इसलिए माता के भक्तों की आज से दरबार में भीड़ जाती है। रात्रि 3 बजे से लेकर रात्रि 12 बजे तक माता के दरबार में 70 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन लाभ लिया। क्योंकि माता के दरबार में आने वाले श्रद्धालु अधिक समय माता के दरबार में रूक नही रहे हैं। पदयात्रा करके आए श्रद्धालु दर्शन करने के बाद रात्रि में ही वाहनों से लौट जाते हैं। इस कारण माता के दरबार में भीड़ तो हा रही है लेकिन अधिक भीड़ नही रह पा रही है। 
भारी संख्या में चल रही है प्रायवेट बसें
लाखों की संख्या में आ रहे माता के श्रद्धालु जो पदयात्रा कर पहुंच रहे हैं। उनके जाने के लिए चारो ओर विशेष बसों की व्यवस्था नवरात्र में जाती है। जहां से पूरी रात किसी भी दिशा में जाने के लिए वाहन उपलब्ध रहते हैं। बसों को भरकर सीधे भोपाल, इंदौर, हरदा, होशंगावाद, इटारसी, सडक़ मार्गों पर रवाना कर दिया जाता है। यही कारण है कि मेला प्रांगण में श्रद्धालु बड़ी संख्या में जमा नही हो पा रह हैं। और सुविधाजनक श्रद्धालु अपने-अपने घरों तक पहुंच रहे हैं। जबकि बसों में यात्री ज्यादा होने के कारण ओवरलोड बस चलाई जा रही है। तब कहीं जाकर श्रद्धालु की संख्या कम हो पा रही है। 
सडक़ मार्ग पर आज से ही लंबी-लंबी कतारें लगना प्रारंभ हो गई जो अष्टमी तक रहेगी
माता के दरबार में पहुंचने वाले चार, दो पहिया वाहन चालक की भारी संख्या होने के कारण और माता के दरबार में पहाड़ी पर पार्किंग की जगह कम होने के कारण दस-दस वाहनों को रोक कर पहाड़ी पर भेजा जा रहा है। जिससे अव्यवस्था न हो और श्रद्धालु सुगमता से दर्शन कर सके। जो वाहन पहाड़ी पर जा रहे हैं उनको लाईन में लगकर गुरूवार एक से देड़ घंटे इंतजार करना पड़ा। क्योंकि संख्या में बड़ गई है। और वाहन भारी संख्या में पहुंच रहे हैं। इस कारण भी व्यवस्था में बदलाव करना पड़ रहा है। ऐसे में बाईक सवार दो लोगों को ही पहाड़ी पर चडऩे की अनुमति है जो वाहन पुराने हैं और कंडम है नीचे ही वाहन पार्क करके सीड़ी और सडक़ मार्ग से पदयात्रा करके जाना होगा। यह श्रद्धालुओं की भीड़ पंचमी से अष्टमी तक निरंतर बड़ती रहती है। और अष्टमी को रविवार पडऩे के कारण श्रद्धालुओं की संख्या भारी संख्या में बडऩे की संभावना है। 
नगर के गांधी चौक में विराजित मां दुर्गा

प्रशासन ने बड़ाया पुलिस बल
माता के दरबार में 200 से अधिक पुलिसकर्मी, अधिकारी सेवा दे रहे हैं। लेकिन यातायात व्यवस्था में कमीं होने के कारण यातायात पुलिस के 48 जवान और अधिकारी और बड़ा दिए हैं। जो सडक़ मार्ग पर यातायात की व्यवस्था देख रहे हैं। अब 240 के आसपास पुलिसकर्मी माता के दरबार में सेवा दे रहे हैं। इसके बाद भी रात्रि को 9 बजे के बाद मंदिर को छोडक़र किसी भी पाइंट पर कोई पुलिसकर्मी नजर नही आ रहा है। और ना ही माता के दरबार में पहुंचने वाले पदयात्रियों की सुरक्षा के लिए सडक़ पर गस्त देने वाले वाहन चलाये जा रह हैं। कोई पुलिसकर्मी श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए रात्रि कालीन गस्त नही कर रहा है। रामभरोसे ही माता के भक्त बड़ी संख्या में पदयात्रा करके दरबार पहुंच रहे हैं। जिनमें सबसे अधिक संख्या महिलाओं और बच्चों की है। 
भंडारों में की जा रही माता के भक्तों की सेवा
माता के दरबार में भक्तों की नि:स्वार्थ भाव से सेवा के लिए प्रतिदिन चलाए जा रहे सेकड़ो सेवा भाव के भंडारे जिनमें अभी तक चाय, फलिहार, खिचड़ी, खीर, वितरित की जा रही थी। ऐसे भंडारे सेकड़ो की संख्या में चल रहे हैं। लेकिन खरगोन, बरैली से आया गुप्ता परिवार पिछले 10 वर्षों से नि:शुल्क भंडारे का आयोजन करता आ रहा है। गुरूवार को मेला प्रांगण में ऐसे ही भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें फलिहार, खिचड़ी, मठे के साथ-साथ भरपेट भोजन भी माता के भक्तों को पूरे दिन कराया। पंचमी से भंडारों की संख्या और बड़ जाएगी। जो अष्टमी तक चलेगी


Monday, 3 October 2016

नवरात्र के तीसरे दिन 50 हजार भक्त पहुंचे मां विजयासन दरबार

निज संवाददाता रेहटी
मां विजयसान दरबार में भक्तों की भक्ति के आगे सब नत मस्तक है। क्योंकि नवरात्र में माता के दरबार में अनेक प्रकार के भक्त पहुंच रहे हैं। जिन्हें देखते ही बनता है। बरैली से पदयात्रा करके आ रहे रामसखा गूजर ने बताया कि वे 35 वर्षों से पदयात्रा करके आ रहे हैं। आज उनकी उम्र 35 वर्ष है। फिर भी सेकड़ो किमी की पदयात्रा में उन्हें अभी थकान नही है। और ना ही वे व्रत के दौरान कुछ ग्रहण करते हैं। सिर्फ फलाहार पर ही 9 दिन व्रत रखते हैं। ऐसे हजारों किस्से पदयात्रा में चल रहे माता के भक्त बता रहे हैं। 100 किमी से अधिक की भक्तों की लाईन देखते ही बनती है। पीपरिया से होशंगावाद, बुदनी, सलकनपुर तक माता के भक्तों की लाईन चार दिनों से टूट नही रही है। माता की अटूट श्रद्धा और विश्वास के चलते हजारों टोलियां जिनमें बच्चे, बूड़े, जवान, महिला-पुरूष शामिल है। माता के जयकारों के साथ पदयात्रा कर रहे हैं। बैतूल, शाहपुरा, भौरा, इटारसी से पदयात्रा करके और दंडवत यात्रा कर आ  रहे किशन सिंह ने बताया कि मेरे परिवार में कोई पुत्र नही था। माता से प्रार्थना की इसके बाद मेरे परिवार में दो पुत्रों का जन्म हुआ। तभी मैने माता के दरबार में दंडवायात्रा कर आने का संकल्प लिया था, जिसे मैं पूरा कर रहा हूं। 20 दिन में माता के दरबार दंडवत  पहुंच रहा हूं। यह मन्नत मेरी मुराद पूरी करने से बड़ी तपस्या नही है। मुझे दंडवत आने में कोई परेशानी नही हुई है। और माता के भक्त मुझे सहयोग कर रहे हैं। खातेगांव से आ रहे पदयात्री संदीप मालवीया ने बताया कि वे पिछले 5 वर्षों से बिना कोई मन्नत के मां के दरबार पहुंच आ रहे हैं। विजयासन माता बिना कहे ही मेरी हर मुराद पूरी कर देती हैं। 
माता के दरबार में सोमवार को हुई भीड़ कम
रविवार को माता के दरबार में भारी भीड़ रही। जिसमें तीन से चार घंटों तक लंबी-लंबी कतारें लगती रही। वहीं सोमवार को माता के भक्तों की संख्या कम हो गई। जो मात्र 50 श्रद्धालुओं तक ही सिमट कर रह गई। लेकिन इनमें सबसे अधिक श्रद्धालु पदयात्रा करके आने वाले श्रद्धालु हैं। इनमें भी महिला श्रद्धालुओं की संख्या अधिक है। जो सेकड़ो किमी से पदयात्रा करके बच्चों सहित माता के दरबार पहुंच रही है। रूकमणि बाई, रामभरोस अपने दो बच्चों को गोद में लेकर 48 किमी पदयात्रा करके माता के दरबार पहुंचे। 
सलकनपुर में बच्चे अब नही करेंगे भिक्षावृत्ति
बाल कल्याण समिति ने सलकनपुर पहुंचकर सीड़ी और मंदिर के आसपास भिक्षावृ़त्ति करने वाले बालकों को ग्राम पंचायत सलकनपुर में एकत्रित किया। और उनके परिजनों को बुलाकर हिदायत दी। कि वे माता के दरबार में स्वयं और परिवार के बालक बालिकाओं से भिक्षावृत्ति न कराए। भिक्षावृत्ति करवाई गई तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। जो बच्चे सलकनपुर में भिक्षावृत्ति करते प्रशासन को मिले उनमें 14 नाबालिग बालक-बालिकाएं हैं। जिनके माता-पिता भी वहीं पर थे। और उनसे भिक्षावृत्ति करा रहे थे। समिति के अध्यक्ष और सदस्यों ने समझाईस दी और बताया कि आगे से वे अपने बच्चों से भिक्षावृत्ति न कराएं। बाल कल्याण समिति जिला सीहोर के बृजेश चौहान अध्यक्ष ने ग्राम सलकनपुर में ग्राम पंचायत सभाक क्ष में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमें समिति के अध्यक्ष बृजेश चौहान, चंदा जैन, रामस्वरूप साहू, जुगल किशोर पटेल, प्रदीप मीना प्रभारी बाल कल्याण समिति, एमआर उईके उप निरिक्षक, केएम खीची, श्रम अधिकारी रवि कुशवाह, सामाजिक कार्यकर्ता नेमनामथ मरावी, सरपंच विपत सिंह उईके, भगवान सिंह चंद्रवंशी, पिंटू केवट अध्यक्ष जल समिति, विनय दुवे, अतुल पंचलासमा, प्रकाश दायमा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कार्यशाला में बृजेश चौहान ने कहा कि बच्चों से भीख मंगवाना दंडनीय अपराध है। इस अपराध को रोकने के लिए सलकनपुर में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। और प्रशासन को चेताया कि वे हर समय भिक्षावृत्ति करने वाले बच्चों पर निगरानी रखे। और किसी भी हाल में भिक्षावृत्ति न करने दे। 

नवरात्र का पहला दिन
नवरात्र का दूसरा दिन
और इस तरह हुई सलकनपुर पर्वत की उत्पत्ति
जानिए कैसे पड़ा मां विजयासन का नाम
जानिए कैसे पड़ा बुधनी का नाम
जानिए कैसे पड़ा रेहटी नगर का नाम

Sunday, 2 October 2016

नवरात्र के दूसरे दिन देड़ लाख श्रद्धालुओं ने किए मां विजयासन के दर्शन


निज संवाददाता रेहटी 
मां विजयसान धाम शक्तिपीठ सलकनपुर में नवरात्र के दूसरे दिन रविवार को माता के भक्तों का जन सैलाव उमड़ता रहा। रविवार को छुट्टी होने के कारण यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हुआ है। जहां दूसरे दिन भी रात्रि 3 बजे से रात्रि 12 बजे तक देड़ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मां विजयासन के दर्शन किए। और पुण्य लाभ लिया। वहीं प्रात: 5:30 की आरती में 50 हजार से अधिक माता के भक्त मंदिर पर जमा थे। शारदीय नवरात्र में यह पहला मौका है कि देवी धाम सलकनपुर में स्वच्छता का वातावरण बना हुआ है। वहीं हर जगह साफ-सफाई देखी जा सकती है। देवी धाम सलकनपुर को तहसीलदार राजेंद्र जैन ने पॉलीथीन मुक्त करने के बाद यह स्वच्छता का वातावरण निर्मित हुआ है। 
500 वर्षों से प्रज्जवलित है मां के दरबार में दो अखंड ज्योति
यहां के महंत प्रभुदयाल शर्मा ने बताया कि मां विजयासन धाम सलकनपुर में 500 वर्षों से एक  शुद्ध घीं, दूसरी तेल की अखंड ज्योत प्रज्जवलित है। वहीं माता के भक्तों ने सवा सौ से अधिक नवरात्र में नो दिनों के लिए ज्योत प्रज्जवलित कराई गई है। जिनकी देखभाल यहां के पंडे दिन रात कर रहे हैं। 
लगता रहा जाम
रविवार को माता के दरबार में अपार भीड़ होने से होशंगावाद, भोपाल, सीहोर और वीरपुर मार्ग पर जाम की स्थिति निर्मित होती रही। वहीं होशंगावाद जाने वाले वाहनों को नहर वाले मार्ग से निकाला जा रहा था। 

Saturday, 1 October 2016

नवरात्र के पहले दिन सवा लाख श्रद्धालुओं ने किए मां विजयासन के दर्शन

निज संवाददाता रेहटी
चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है, जयकारा शेरावाली का, नंगे-नंगे पांव चले आये मां तेरे पुजारी जैसे धार्मिंक उद्घोषों के साथ चारो दिशाओं से जय मातादी के ही जयकारे सुनाई दे रहे हैं। और पूरा क्षेत्र धर्ममय हो गया है। यह नजारे नवरात्र के पहले दिन से ही देखने को मिल रहे हैं। मां विजयासन शक्तिपीठ धाम सलकनपुर में शारदीय नवरात्र के पहले दिन माता के भक्तों की अपार भीड़ देखी गई। जहां करीब सवा लाख श्रद्धालुओं ने मां विजयासन दरबार पहुंचकर मत्था टेककर स्तुति की। नवरात्र के पहले दिन सुबह 5:30 बजे की आरती में करीब 50 हजार से अधिक श्रद्धालु आरती में शामिल हुए। रात्रि 3 बजे से रात्रि १२ बजे तक माता के पट खुले होने से यहां आने वाले हजारों की संख्या में पदयात्रियों को रात्रि में भी माता के दर्शन हो रहे हैं। 24 घंटे में मात्र 3 घंटे ही रात्रि 12 बजे से 3 बजे तक ही माता के पट बंद रहते हैं। 21 घंटे लगातार माता के दरबार में भक्तों की कतारें टूट नही पा रहीं हैं। वहीं बड़ी संख्या में बुदनी, होशंगावाद, भोपाल, सीहोर और वीरपुर मार्ग पर पदयात्रियों की कतारें भी देखी जा सकती हैं। जय माता दी उद्धघोष के साथ टोलियां बनाकर ढोल नगाड़ो के बीच पदयात्री माता के दरबार पहुंच रहे हैं। 
मंदिर पर व्यवस्था बड़ाई
प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी शारदीय नवरात्र में पेयजल, साफ-सफाई और विश्राम की व्यवस्था के साथ इस बार स्थानीय ट्रस्ट ने अलग से व्यवस्थाएं भी की हैं। श्री देवी जी मंदिर ट्रस्ट सचिव रामकिशोर दुवे ने बताया कि 124 केवी का बड़ा यहां एक जनरेटर भी लगाया गया है। जहां लाईट जाने पर श्रद्धालुओं के लिए प्रकाश व्यवस्था समुचित रहेगी। वहीं मंदिर पर चार-चार हजार लीटर की दो ठंडे पानी की मशीन भी लगाई गई है। जिनको दो घंटे में 8 हजार लीटर पानी ठंडा कर श्रद्धालुओं की सेवा के लिए रखा गया है। 
21 घंटे माता के पट खुलने से नही होती है अधिक भीड़
मां विजयासन के 24 में से 21 घंटे पट खुले होने से यहां मंदिर प्रांगण में अधिक भीड़ नही देखी जा सकती है। माता के भक्त पंक्तिबद्ध आकर माता का दर्शन कर रहे हैं। वहीं अधिक भीड़ होने पर आधे से एक घंटे में माता के दर्शन हो रहे हैं। 
सुबह की आरती में भारी भीड़

चारो दिशाओं से माता का ध्वज हाथ में लिए पैदल आने वाले यात्री दिनरात चलकर पदयात्री रात्रि में ही माता के दरबार पहुंचकर सुबह की आरती में शामिल होना चाहते हैं। जिस कारण सुबह 5:30 की आरती में भारी भीड़ माता के दरबार में रहती है। जिसमें पदयात्रियों की संख्या सबसे अधिक होती है। 
चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात
शारदीय नवरात्र में माता के भक्तों को कोई असुविधा न हो और उनकी सुरक्षा के लिए यहां चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात किए गए हैं। जहां मंदिर पर 100 से अधिक पुलिस बल तैनात है। वहीं पार्किंग, सीड़ी मार्ग, वाहन पहुंच मार्ग, बस स्टैंड, रोप-वे पर भी 100 से अधिक पुलिस बल तैनात हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर 200  से अधिक पुलिस बल यहां तैनात किया गया है।
नीचे दी गई लिंक्स पर क्लिक करके विस्तार से जाना जा सकता है। 



Friday, 30 September 2016

पितृमोक्ष अमावस्या पर क्षेत्र में उमड़ा आस्था का सैलाव

50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने नर्मदा में तर्पण कर पितरो को दी विदाईं

निज संवाददाता रेहटी
पितृमोक्ष भूतड़ी अमावस्या पर प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्था के साथ 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को कराया स्नान। कहीं कोई अप्रिय घटना के समाचार नही है। पानी के कारण देर शाम तक नही रूक सके श्रद्धालु। दोपहर में लगातार एक घंटे तक भारी बारिश होने के कारण यहां आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। लगातार बारिश से आनन-फानन में अपने-अपने स्थान पर जाने वालों का सिलसिला शुरू हो गया। वहीं कई वाहन जाम में फंस गए। बारिश बंद होने के बाद फिर से श्रद्धालुओं की संख्या तीर्थ  स्थल आंवलीघाट पर बड़ती रही। 
अमलेश्वर धाम आंवलीघाट में पितृमोक्ष अमावस्या पर 50 हजार  से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान दान, तर्पण कर पितृो को विदाई दी। इस बार पितृ मोक्ष अमावस्या पर  2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा था। लेकिन मालवांचल में फसलों की कटाई और खेतों की बनाई चल रही है। इस कारण मालवांचल से कम श्रद्धालु आंवलीघाट पहुुंचे। जो श्रद्धालु आंवलीघाट पहुंचने उन्होने विधिवत पितृो को विदाई दी और तर्पण किया। आंवलीघाट में 300 से अधिक पुलिसकर्मी पितृमोक्ष अमावस्या पर प्रशासन ने लगाए थे। पानी में अधिक गहरे पानी में जाने से रोकने के लिए जल वेरीकेटिंग की थी। इसके बाद भी श्रद्धालु पुलिस की मौजूदगी में खुलकर नहाते रहे। 
प्रेत बाधाओं से मुक्ति दिलाने पहुंचे लाखों श्रद्धालु
विज्ञान के युग में प्रेत बाधा का कोई स्थान नही है लेकिन विश्वास के वशीभूत होकर हजारों श्रद्धालु प्रेत बाधाओं से पीडि़त लोगों को लेकर आंवलीघाट पहुंचते हैं। और यह श्रद्धालु विधिवत पूजा अर्चना के बाद पे्रत बाधा से पीडि़तों को पंडाओं की मौजूदगी में नर्मदा स्नान करवाते हैं। और प्रेत बाधा पीडि़त को छोडक़र नर्मदा में ही चली जाती है। ऐसी मान्यता कई वर्षों से चली आ रही है। तभी लाखों की संख्या में श्रद्धालु आंवलीघाट पहुंचते हैं। और घाट पर ही पंडा द्वारा बताई गई क्रिया कर प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने के उपाय करते हैं। जिनमें से 90 फीसदी लोगों को लाभ मिलता है। ऐसा कहना है कि हेमसिंह पाटीदार देवास का। 
मां विजयासन दरबार में पितृमोक्ष अमावस्या पर पहुंचे लाखों श्रद्धालु

निज संवाददाता रेहटी
पितृ मोक्ष अमावस्या पर मां विजयासन धाम सलकनपुर में हजारों  श्रद्धालु मां विजयासन के दर्शन करने पहुंचे। और मां विजयासन के पूजा अर्चना की। और यथा श्रद्धा मन्नत मांगी। नवरात्र प्रारंभ होने से एक दिन पूर्व शुक्रवार को श्रद्धालु ५ बजे से ही मां विजयासन दरबार प्रात: कालीन आरती में शामिल होने पहुंचे थे। प्रात: कालीन आरती में 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने आरती की। और माता की आराधना की। मां विजयसान दरबार में पितृमोक्ष अमावस्या पर पूर्व में  प्रतिवर्ष 3 लाख से अधिक श्रद्धालु नर्मदा में स्नान करने के बाद मां विजयासन दरबार पहुंचते रहे हैं। लेकिन इस वर्ष भीड़ कम होने के कारण 75 हजार श्रद्धालु ही मां विजयासन दरबार पहुंचे। 
प्रशासन ने की नवरात्र की तैयारी पूर्ण
130 से अधिक पुलिसकर्मी नवरात्र में व्यवस्था पर निगरानी रखेंगे। और श्रद्धालुओं की करेंगे सुरक्षा। मां विजयासन दरबार में प्रशासन ने पूर्व से ही तैयारी कर रखी है। इसलिए नवरात्र प्रारंभ होने से पहले ही एसडीएम बृजेश सक्सेना, तहसीलदार राजेंद्र जैन, स्थानीय अधिकारियों ने मां विजयासना धाम सलकनपुर को पॉलीथीन मुक्त, धार्मिक शहर बनाने के लिए अभियान चला रखा है। जिसमें पितृमोक्ष अमावस्या पर भी अभियान चलाकर 5 से अधिक दुकानदारों की दुकानों से पॉलीथीन बेग में भरे सामान को जब्त कर कार्रवाई की। क्योंकि प्रशासन पांच दिनों से प्रतिदिन दुकानदारों को हिदायत दे रहा था कि कोई भी दुकानदार पॉलीथीन बेग में या अमानक पॉलीथीन में सामान विक्रय नही करेगा। इसके बाद भी कई दुकानदार चिंरोजी, परवल, रेवड़ी, माता का सिंगार, खिलोने जैसी सामग्री का विक्रय पॉलीथीन बेग में कर रहे थे। अब प्रशासन ने एनजीटी कानुन के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। यदि अब भी दुकानदार बाज नही आते हैं तो। 
माता के दरबार में नवरात्र के एक दिन पूर्व भक्तों के दिखे अनेक रंग
माता के दरबार में नवरात्र की प्रथम आरती में शामिल होने के लिए गांव-गांव से 50 से अधिक टोलियों में अलग-अलग वेशभूषा, अलग-अलग रंग और अलग अलग साज धाज के साथ श्रद्धालु नृत्य गायन, माता के भजनों पर थिरकते पदयात्रा करके सलकनपुर पहुंचे। यह श्रद्धालु नवरात्र की प्रथम आरती में शामिल होने के लिए प्रतिवर्ष 20 वर्षों से पदयात्रा करके पहुंच रहे हैं। जिनमें शाहपुर, बरैली, खेड़ापति मंदिरसमिति के श्रद्धालु, बैतूल चौपन के श्रद्धालु भी मत्था टेक कर पहुंचे। 


Saturday, 13 August 2016

गौ-रक्षा के लिए उठने लगी है आवाज

प्रदेश में एक नयी समस्या उभर कर सामने आ रही है। वह है गायों की सुरक्षा की समस्या। प्रतिदिन सेकड़ो की संख्या में गायों की सडक़ दुर्घटना में मौत हो रही है, हजारो की संख्या में गायें अफंग हो रही है। इस तरह से मध्यप्रदेश में गायों की बहुत बुरी हालत है। इसमें मुख्य रूप से गलती पशु पालकों की होती है। अगर वे धर्म पर विश्वास करते हैं तो उन्हे यह मानना चाहिए कि सडक़ दुर्घटना में गाय की मौत और इस पाप के  जिम्मेदार वे खुद है। हालांंकि हम इस समस्या क ो जन भागीदारी से दूर कर सकते हैं। लेकिन जन भागीदारी भी क्या करे जब गायों क ी सुरक्षा और देखरेख के लिए  नगर या गावं गौशाला तक की जगह न हो। जिस तरह से बाघ की संख्या में गिरावट आई है ठीक उसी तरह गौवंश में भी गिरावट आई है। हालांकी बाघ खाद्य श्रंखला का मुख्य अंग होता है लेकिन गाय भी पर्यावरण को संतुलित और स्वस्थ बनाने में सक्षम है। गाय ही वह प्राणी होता है तो आक्सीजन ग्रहण करता है लेकिन श्वास छोड़ते समय भी आक्सिजन का अधिकतम प्रतिशत होता है। जो किसी ओर पशु में संभव नही है। 

रेडियम की पट्टी नही है समस्या का समाधान
कई जागरूक संगठनों ने गायों की सुरक्षा के लिए उनके सींगों पर रेडियम की पट्टी बांधकर उन्हें दुर्घटना से बचाने का आधुनिक तरिका निकाला है। लेकिन यह गायों और यातायात समस्या का पूर्णरूपेण समाधान नही है। 
युवाओं ने की उचित समाधान की मांग
नगर के सेकड़ो युवाओं को गायों की दुर्दशा देखी न गई और आक्रोशित युवाओं ने एक रैली के माध्यम से रेहटी नगर परिषद अध्यक्ष और तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। जिसमें बताया गया कि वे गाय को दुर्घटना से बचाने का ठोस कदम उठाया जाए। वे एक बार गाय के बारे में विचार करे। तहसीलदार राजेंद्र जैन ने बताया कि कुछ ही दिनों मे इस समस्या को समाधान करने का प्रयास करेंगे। और गायों के लिए उचित गौशाला, पौषण आहार की व्यवस्था करेंगे। जहां उन्होने तुरंत कार्रवाई करते हुए अस्थायी रूप से गायों को दशहरा मैदान में एकत्रित करवाया गया है। एक हजार से अधिक गायों को एकत्रित करने में युवाओं और बच्चो ने भरपूर सहयोग दिया है।
पशु पालकों द्वारा गायों को छोडऩे का एक कारण यह भी
बहुत कम लोग ही जानते हैं कि पशुपालकों द्वारा गायों को छोडऩे का कारण् सिर्फ दूध देना नही है। मुख्य कारण यह है कि इनमें से अधिकतर गाय ऐसी हैं जो बांझ है जो जन नही सकती है। इस कारण भी पशु पालकों ने गायों को छोड़ दिया है। 



Tuesday, 9 August 2016

जानिए क्षेत्र के मुख्य लुभावने जल प्रपातों के बारे में


बरसात के मौसम में पर्यटकों को लुभाने के लिए बुदनी विधानसभा क्षेत्र, मां विजयसान दरबार, टपकेश्वर धाम और रातापानी अभ्यारण्य क्षेत्र के कई पहाड़ी झरने, जल प्रपात आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

और भारी संख्या में पर्यटकों को लुभा रहे हैं। इन लुभावने झरनों पर निर्मल कल कल करता चल सहज ही पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है। जिसमें सबसे आकर्षक दृश्य मां विजयासन दरबार के समीप इटारसी डेम का वेस्ट वेयर वाटर फाल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। दूध की तरह सफेद पानी में सेकड़ो पर्यटक पर्यटन का लाभ उठा रहे हैं। वहीं बडा भदभदा शिव मंदिर के पास दूर से ही हरियाली पहाड़ी का आकर्षण लिए पर्यटकों को लुभा रहा है। लेकिन इस झरनेे तक पहुंच मार्ग नही होने के कारण यहां पर्यटक कम पहुंच पाते हैं। दूर से ही इसकी खूबसूरती को निहारना पर्यटको की मजबूरी है। टपकेश्वर महादेव का पहाड़ी जल प्रपात कई वर्षों से पर्यटको को लुभा रहा है। लेकिन यहां पर भी पहुंच मार्ग नही होने के कारण बड़ी संख्या में पर्यटक नही पहुंच पाते हैं। क्योंकि यह जल प्रपात घनी पहाड़ी के बीचोबीच है। रातापानी अभ्यारण्य क्षेत्र का देलाबाड़ी जल प्रपात सडक़ किनारे होने के कारण और रातापानी अभ्यारण्य क्षेत्र में जंगल कैंप के पास होने क ारण अधिक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। और यहां सेकड़ो पर्यटक पहुंच रहे हैँं। जबकि बरसात में रातापानी अभ्यारण्य क्षेत्र में पर्यटकों का प्रवेश बंद है। इसके बाद भी सेकड़ो पर्यटक जल प्रपात और नेसर्गिक पहाड़ी क्षेत्र का आनंद लेने के लिए देलाबाड़ी पहुंच रहे हैं। इसी प्रकार कोलार डेम, वीरपुर भी पर्यटकों को लिए लुभावना, आकर्षण का कें द्र बना हुआ है। जबकि यहां पहुंचने के लिए मालीबायां से वीरपुर तक सडक़ मार्ग खराब है। वहीं बिलकिसगंज से वीरपुर डेम तक सडक़ मार्ग कई जगह से उखड़ा हुआ है। तब भी बड़ी संख्या में पर्यटक कोलार डेम पहुंच रहे हैं। 

Monday, 8 August 2016

जल्द अपना आकार ले रहे हैं आंवलीघांट के महादेव

रेहटी के प्रसिद्ध नर्मदा तट आंवलीघाट के दक्षिण तट पर पर्यटन विभाग के पार्क में स्थापित तपस्या में लीन 51 फीट ऊंचे भगवान महादेव अपना आकार ले रहे हैं।
 भगवान महादेव की इस 51 फिट ऊंची भव्य प्रतिमा का निर्माण मंत्री सरताज सिंह जन सहयोग से करवा रहे हैं। जहां कल-कल करती मां नर्मदा के साथ इस प्रतिमा का दर्शन करना मनोहारी होगा। प्रतिमा के होने से आंवलीघाट की खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे। 
हालांकि अभी इस प्रतिमा का निर्माण कार्य चल रहा हैं। चारो ओर बांस के ढांचे की सहायता लेकर कलाकार शिव प्रतिमा को आकार दे रहे हैं। इस तरह से इस प्रतिमा का क्लियर फोटो ले पाना असंभव है। लेकिन इसके बनने के पहले ही पाठक इस प्रतिमा का दर्शन कर सके इसके लिए हमने कंप्यूटर के फोटोशॉप से व्यू तैयार किया है। तथा यह पॉलिश के बाद कैसी लगेगी इसका  भी ब्यू आप इस साईट पर देख सकते है 
ऋषि मुनियों की तपस्या स्थली रहा  है अमलेश्वर धाम
अमलेश्वर धाम आंवलीघाट पौराणिक पुरातत्व घाट हैं। यहां पर कई महान तपस्वी ऋषि मुनियों ने तपस्या कर  इस घाट को सिद्ध स्थल बनाया है। जिन महा ऋषियों ने अमलेश्ववर धाम आंवलीघाट में तपस्या की है उनके नाम अनंत है। लेकिन भगवान विश्वकर्मा, सूर्यपुत्र बुध देव, मार्कण्डेय ऋषि, धुनि वाले दादा जैसे सेकड़ो संतो और ऋषियों ने अमलेश्वर धाम आंवलीघाट में तपस्या की थी। और नीनोर से बाबरी तक 14 किमी नर्मदा क्षेत्र को सिद्ध स्थल बनाया था। यहीं पर कोकसर में धुनि वाले दादा के गुरू और गुरू भाईयों ने जीवित समाधि ली थी। उनके समाधिक स्थल आज भी सिद्ध स्थल के रूप में पूजित है। इसी प्रकार नर्मदा तट मरदानपुर में 7 फीट ऊंचे योग सिद्ध ऋषि ने तपस्या की थी। उनके स्थान पर आज भी नर्मदा तट मरदानपुर में सिद्ध आश्रम स्थापित है जहां प्रतिवर्ष भंडारा, कन्याभोज का आयोजन सामुहिक रूप से ग्रामीण कराते हैं। 
जानिएं यहीं हैं महाभारतकालीन हस्तिनापुर

Saturday, 16 July 2016

कुएं में गिरे बेटे को मां ने बचाया, लेकिन छोडऩा पड़ी उसे दुनिया

कहते हैं कि मां अपने बच्चे के लिए हर संभव सहायता करती है। और समय  आने पर वह अपनी संतान के लिए जान भी न्यौछावर कर सकती है। ऐसा ही वाक्या शनिवार को रेहटी के गांव रतनपुर में घटित हुआ। जहांं मां ने कुए में गिरे अपने बेटे को बचाने के लिए अपनी जान दे दी। घटना गांव रतनपुर के एक किसान के  खेत पर बने कुए पर शनिवार दोपहर 1:30 बजे घटी। 
यह बच्चा गिरा था कुए में
प्राप्त: जानकारी के अनुसार पूजा बाई ग्वाला पत्नि रामकिशोर ग्वाला उम्र 28 वर्ष वह अपने  दो बेटो को लेकर  पूजा की सास सुशीला बाई  के साथ खेत पर काम करने के लिए गई थी। इसी बीच कुए से कुछ दूरी पर वह काम करने लग गई और उसका ध्यान अपने बच्चे से हट गया। छोटे बच्चे के  खेल-खेल में कुए के पास पहुंचने पर वह उसमें जा गिरा। गिरने की आवाज मां पूजा को सुनाई दी और वह दौड़ी दौड़ी कुए के पास आई। उसने देखा कि उसका बेटा डूब रहा है। अपने बेटे को डूबते देख उसने भी बिना समय गवाय कुए में छल्लागं लगा दी। जहां काफी समय के बाद मां ने अपनी जान पर खेलकर बच्चे को तो बेहोशी हालत में बचा लिया। लेकिन उसको यह दुनिया छोडऩा पड़ी। पूजा को तैरते नही आता था। जब मां पूजा बच्चे को बचा रही थी तभी पास में काम कर रही पूजा की देवरानी और सास ने शोरगुल सुनकर भागकर आई तो देखा कि कुए में अपने बेटे को  बचाने के लिए मां संघर्ष कर रही है। दोनो ने उनकी  मदद की तब तक बहुत देर हो चुकी थी। और मां मर चुकी थी। किसी तरह कुए से बच्चे को बाहर निकाला तो बच्चा भी बेहोशी हालत में था। 108 एंबुलैंस की मदद से दोनो मां बेटे को रेहटी अस्पताल लाया गया। जहां डाक्टरों ने पूजा ग्वाला को मृत घोषित कर दिया। वहीं बेहोशी हालत में बच्चे के ईलाज के बाद बच्चा होश में आ गया। यह घटना इतनी तीव्र और दुखद थी कि पूजा के परिजनों ने डाक्टरों की बातों पर भी विश्वास नही किया। पूजा को रेहटी के डाक्टरों ने मृत घोषित करने के बाद भी परिजन नही माने और उन्होने अपने निजि साधन से किसी अन्य शहर में ले जाने की बात कही। और वाहन से वह मृतक पूजा को लेकर चले गए। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि किसी ने पुलिस को सूचना तक देना भी ठीक नही समझा। जहां पुलिस में मामला भी दर्ज नही हो सका है। 
bachhe ki ma pooja

     महिला और बच्चे को अस्पताल लाने के बाद महिला मृत हो चुकी थी। और बच्चा बेहोशी हालत में होने से उसे इंजेक्सन देते ही वह होश में आ गया। लेकिन परिजन जिद करके उसे बाहर शहर में दिखाने के लिए तत्काल रवाना हो गए। 
डॉ एसके यादव, चिकित्सक अस्पताल रेहटी

Monday, 4 July 2016

रेहटी की सामान्य जानकारी

प्राय: ऐसा देखा गया है कि नागरिकों में अपने  नगर की महत्वपूर्ण जानकारियों का अभाव होता है। यह पेज इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतू बनाया गया है। विशेष रंग पर क्लिक करके आप उस विषय में विस्तार से जान सकते हो। 
अशोक का शिलालेख (सारू-मारू)
  • मुख्य नाम - रेहटी
  • तहसील - रेहटी
  • जिला - सीहोर
  • तहसीलदार -
  • टीआई -
  • सीएमओ -
  • अध्यक्ष -
  • बार्ड - 15 
  • जनसंख्या - 11, 611  ( 2011 ) 
  • वर्तमान जनसंख्या - 15, 000  ( लगभग)
  • तहसील से जुड़े गांव         - 102
  • मंदिरों की संख्या  - 15
  • (हनुमान मंदिर बजरंग चौक, हनुमान मंदिर अयोध्या बस्ती, राम मंदिर बजरंग चौक, राधाकृष्ण मंदिर, शिव मंदिर बस स्टैंड, शिव मंदिर ब्राम्हणपुरा, बगई माता मंदिर, हरदोल मंदिर, शनि मंदिर इंदिरा मार्ग, हनुमान मंदिर ढामंडा, हनुमान मंदिर नीमखेड़ी, हनुमान मंदिर भब्बड़, हनुमान मंदिर इटावा, महावीर स्वामी जैन मंदिर तलाई मोहल्ला बार्ड ०७, साईं मंदिर अस्पताल प्रांगण, हनुमान शिव मंदिर कोलार कॉलोनी रेहटी। )
  • मस्जिद - 3
  • (जामा मस्जिद गांधी चौक, अरीठे वाली मस्जिद, कोलार कॉलोनी वाली मस्जिद, )
  • दरगाह - 5
  • (सिपाही बाबा दरगाह कोलार कॉलोनी बाड्र्र ९, चमेली वाले बाबा दरगाह भब्बड़ नदी गेहूंखेड़ा मार्ग मुक्तिधाम के पास, पीरबाबा दरगाह दशहरा मैदान के पास, मलंगशाह दरगाह इटावा, पीरबाबा दरगाह हनुमान मंदिर बजरंग चौक। )
  • वीरान गांव - 3
  • (बोरदाखेड़ा,  भब्बड़,  गुराडख़ेड़ा।)
  • क्षेत्रीय प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल - 4
  • (विजयासन धाम सलकनपुर, शिव मंदिर,  रूद्रधाम रमगढ़ा)
  • क्षेत्रीय पुरातत्व स्थल
  • सारूमारू बिहार नकटी तलाईं गुपतेश्वर मंदिर इटारसी,  गोकर्णेश्वर मंदिर जहाजपुरा,  अमलेश्वर धाम मंदिर आंवलीघाट, पुरातत्व धरोहर नर्मदा कछार नीनोर, चंपावति नगरी, जैन पुरातत्व धरोहर चकल्दी, जागीरदारों की गड़ी गड़ी मोहल्ला रेहटी, पुरातत्व धरोहर स्थल बोरदाखेड़ा, हजारों साल पुराने शिलालेख, अवशेष और शेलचित्र 50 से अधिक गर्भगृही कंदरा (गुफा) सलकनपुर से बुदनी तक, किला गिन्नोरगढ़ बावन बावड़ी, 7 विशाल तलाव, राजा नवल शाह गोंड वशंज राजाओं के महल, रानी कमलावति का महल, और गोंडराजाओं के बड़ा देव, देलाबाड़ी आदि प्रमुख स्थान है।


Monday, 27 June 2016

सोयाबीन बीज देने का लालच देकर लाखों का नकली खाद खपा गई एक कंपनी



इन दिनों ग्रामीण क्षेत्र में किसानो को लालच देकर अमानक खाद विक्रय करने का मामला प्रकाश में आया है। ग्राम नयागांव के किसान भोलाराम लौधा, दीपक लौधा, नर्मदा प्रसाद पटेल ने बताया कि किसान क्राप्स कंपनी के चार कर्मचारी गांव में घर-घर जन संपर्क कर रहे थे। और कार में रखा खाद का सैंपल बताकर कह रहे थे कि यह जैविक खाद है जिसकी कीमत एक हजार रूपए में पचास किलो जैविक खाद दिया जा रहा है। इस खाद के साथ किसानो को उधारी में सोयबीन बीज दिया जाएगा जो बोनी के दौरान किसानो को दिया जाएगा। किसानों को पांच बोरी खाद लेने पर ही बीज दिया जाएगा। यह बात कहकर किसानों को लाखों रूपए का नकली खाद लालच देकर किसान क्राप्स के कर्मचारी दे गए हैं। यह मामला तब प्रकाश में आया जब पानी गिरने के बाद किसानों ने कंपनी के टोल फ्री नंबर और रसीद पर अंकित नंबर पर टेलीफोन कर संपर्क किया। जिन कर्मचारियों के नंबर किसानों ने लिखे थे वे नंबर भी बंद बता रहे हैं। टोल फ्री नंबर भी बंद आ रहा है।

किसान करेेंगे एफआईआर दर्ज फर्जी खाद कंपनी के खिलाफ स्थानीय किसान एफआईआर दर्ज करेंगे। इसके लिए अधिकारियों से किसानों से चर्चा की है और किसान पता लगा रहे हैं कि नकली खाद बेचने वाली फर्जी कंपनी ने कितने किसानों को किन-किन गांवों में झांसा देकर लाखों रूपए ऐठें हैं। 
किसान द्वारा भेजा गया यह खाद के कवर का फोटो
कैसे करें नकली खाद की पहचान
खाद की पहचान करने के लिए खाद को पानी में डालकर उसको गलने का इंतजार करना चाहिए। खाद तत्काल गल जाता है तो खाद नकली है। और यदि खाद देर से गलता है तो खाद सही है। लेकिन इस खाद में नर्मदा रेत पायी जा रही है। इसलिए किसान इसे गुणवत्ताहीन खाद बता रहे हैं। 

नकली खाद की जांच कराकर और सही पाया गया तो फर्जी कंपनी के खिलाफ मामला पुलिस को भेजकर कार्रवाई की जाएगी। 
राजेंद्र जैन, तहसीलदार रेहटी





Wednesday, 22 June 2016

जाने रेहटी में मिलेे अजगर का पूरा मामला

 रेहटी के करीब के गांव गेहूंखेड़ा में भब्बड़ नदी के पास अजगर द्वारा बकरी को निगलने की घटना जैसे ही लोगों को पता चली। वे रोमांच से भर गए। प्रकृति प्रेमी और जिज्ञाषु प्रवृति के लोग उसकी एक झलक पाने के लिए वे उसे देखने के लिए चल पड़े। देखते ही देखते कई लोगों की भीड़ वहां जमा हो गई। उन्होने देखा कि एक अजगर बकरी को निगल रहा है। जहां उन्होने उसे मोबाईल पर केप्चर करने की कोशिश भी की। रेहटी नगर में इस तरह की घटना का पहली बार  होनारोमांच से भरा हुआ था। आखिर हो भी क्यो ना मनुष्य की यही प्रवृत्ति होती है। 

जानकारी के अनुसार 21 जून दिन मंगलवार को गेहूंखेड़ा के पास नदी के किनारे शाम 7 बजे एक 8 फुट लंबे अजगर ने एक बकरी को पकड़ लिया। और उसे निगलने की कोशिश करने लगा। किसी व्यक्ति की नजर पडऩे पर उसने शोरगुल किया। इस तरह एक-एक करके कईयों को यह बात पता चल गई और इसे देखने के लिए जमा हो गए। कुछ लोगों के लोगों द्वारा भगाने पर वह भाग गया। लेकिन आधी रात के बाद वह वापस आया और उसने पूरी बकरी को निगल गया।
आपकी जानकारी के लिए बतां दे कि यह छोटे अजगर की एक प्रजाति थी। जो 8 फुट लंबा व 30 किलो बजनी था। अजगर के मिलने का यह पहला मामला नही है पिछले 10 साल पहले भी इसी नदी के किनारे एक इससे अधिक विशालकाय अजगर देखा गया था। ये अजगर नदी के आसपास के इलाकों में पाए जाते हैं। ताकी नदी के पानी में कूदकर या छिपकर अपना बचाव कर सकें। मध्यप्रदेश में 12 फीट तक लंबे के अजगर पाएं जाते हैं। इनका आकार 20 फीट या इससे अधिक हो सकता है। इनमें जहर नही होता। ये कुंडली बनाकर अपने शिकार को मारते हैं।  विदेशों में इनकी कीमत लाखों में होती है।

यहां क्लिक कर जानिए इस सांप प्रजाति के इस रोचक जीव के बारे में

Sunday, 29 May 2016

देश का पहला सामाजिक विज्ञान केंद्र खुलेगा बोरदी में

रेहटी तहसील के ग्राम बोरदी में देश का पहला सामाजिक विज्ञान केंद्र खोला जाएगा। 
यहां खुलेगा सामाजिक विज्ञान केंद्र
और यह क्षेत्र के लिए गौरव की बात होगी। डॉ भीमराव अंबेडकर विश्व विद्यालय महू के द्वारा ग्राम बोरदी में इस सामाजिक विज्ञान केंद्र को खोलने के लिए 50 एकड़ भूमि प्रशासन ने खाली कराकर आरक्षित कर विश्व विद्यालय कुलपति आरएस कुरील को सौंपी है। यह सामाजिक विज्ञान केंद्र प्रदेश सहित देश का पहला सामाजिक विज्ञान केंद्र होगा। इसमें आगे भी कई विषयों पर रिसर्च सेंटर खोले जाएंगे। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासी जनजाति, पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए कौशल उन्नयन प्रशिक्षण केंद्र भी यहां स्थापित किए जाएंगे।
सामाजिक विज्ञान केंद्र के लिए भूमि समतल करते हुए 
 तहसीलदार राजेंद्र जैन ने बताया कि सामाजिक विज्ञान केंद्र खोलने के लिए 50 एकड़ भूमि डॉ भीमराव अंबेडकर विश्व विद्यालय महू को दे दी है। यह देश का पहला सामाजिक विज्ञान केंद्र बोरदी में खोला जा रहा है। 

Wednesday, 25 May 2016

अविश्वसनीय जीव, हो जाता है एक से अनेक

प्रकृति ने कई बार चमत्कार कर मनुष्य को दांतो तले उंगली दबाने को मजबूर किया हैं। आज भी कई स्थान, जीव, महामानव तथा इनके बारे में किवदंतियां ऐसी हैं जिनके रहस्यों ने मानव को हैरत में डाल रखा है। कई बुद्धीजीवी लोग इन किवदंतियों पर विश्वास नही करते हैं लेकिन जब वे इन्हें स्वयं देखते हैं तो दांतो तले उंगली दबाने पर मजबूर हो जाते हैं। वह इसलिए क्योंकि ये चमत्कार और रहस्य विज्ञान के नियम इन पर लागू नही होते हैं। अतः वैज्ञानिकों का निष्कर्ष भी इन पर अधूरा है।

हालांकी यह पेज  शिव श्रंगार सांप की एक विषेश प्रजाति को लेकर है। वशीभूत करने वाले इस सांप के बारे में जानने की जिज्ञाषा षुरू से लोगों के मन में रही है। पुराणों, ग्रंथों, किताबों में सांप और उसकी मढ़ी के बारे में लिखा गया है। अभी तक मढ़ी होने के तो कोई साक्ष्य नही मिल पाए हैं। लेकिन यह पेज सांप की उस प्रजाति को लेकर है जो खुद को अपने ही समान विभिन्न रूपों में प्रगट करने की क्षमता रखता है। इस सांप की प्रजाति का नाम सीता की लठ है। जिसे इंग्लिश् में striped keelback कहते हैं। और इसके एक से कईं हो जाने के रहस्य को लेकर हजारों पुख्ता साक्ष्य भी मिले हैं। इन साक्ष्यों का कहना है कि उनको सीता की लठ दिखाई देने पर उन्होने बांस के लठ से उसे भगाने या मारने का प्रयास किया। ऐसा करने का प्रयास करते ही बिजली की रप्तार से 7 से 8 सीता की लठें विभिन्न दिशाओं से निकलने लगी और वे दरारों और छिद्रों में चली गईं। इस घटना का फोटो और वीडियो इसलिए केप्चर नही हो सका क्योंकि यह घटना अत्यंत तीव्र गति से घटित हुई। लोगों ने उन्हें खोजने का प्रयास भी किया लेकिन मूल सीता की लठ के अलावा किसी भी सीता की लठ तक वे नही पहुंच पाए।

striped keelback

16 से 18 इंच के इस प्राणी के इस रहस्य के बारे में अभी तक कोई भी टीवी चेनल, न्यूजपेपर्स, वैज्ञानिक खुलासा नही कर सके हैं। यहां तक कि यह घटना इस साइट के अलावा कहीं प्रकाशित भी नही हुई है। सीता की लठ के इस रहस्य के बारे में कई लोगों का कहना है कि वे अपनी रक्षा के लिए यह करती हैं। विभिन्न सीता की लठों के निकलने पर मारने वाले का ध्यान भटक जाता है और वह सीता की लठ इसका फायदा उठाकर अपनी जान बचा लेती है। वैज्ञानिक तर्क वाले लोगों का कहना है कि एक नही कई पहले से ही होती होंगी। लेकिन वे समुह में नही निकलती होंगी। जब कोई उन पर हमला करता है तो वह इसका सिग्नल अपने समुह को दे देती होगी। ताकी उसका बचाव हो सके। लेकिन यह तर्क भी वे कुछ फीसदी ही सही मानते हैं। क्योंकि ये उन जगहों से भी निकली हैं जहां इनके होने की कोई गुजाइंश भी न हो। हालांकी इसके एक से कई हो जाने पर शोध नही हो सका है। इसलिए यह रहस्य से भरी हुई हैं और इसे चमत्कार कहें तो कहीं गलत नही होगा।

Sunday, 22 May 2016

बुद्ध से बनी है बुधनी

विश्व के जाने-माने धर्मों में से एक बौद्ध धर्म के संस्थापक तथा प्राचीन मनोवैज्ञानिक के रूप में पहचाने जाने वाले भगवान बुद्ध का जन्म प्रतिवर्ष भारत में वेशाखी पूर्णिमा पर बुद्ध पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है।
यह जन्मोत्सव विश्व के कई देशो में भी april माह में अलग-अलग दिन मनाया जाता है। बोद्ध धर्म के आज विश्व में करोड़ो अनुयायी हैं। और प्राचीन समय में मुख्यत: भारत और चीन में उनके भक्तों द्वारा बनाई गई कई बड़ी-बड़ी पाषाण प्रतिमाएं हैं। भगवान बुद्ध के जन्म पर विचार किया जाए तो उनका जन्म लगभग ५०० ई के आसपास नेपाल के लुंबनी ग्राम में हुआ था। उनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। बाद में यह अपने ध्यान और तपोबल से गौतम बुद्ध के नाम से मशहूर हुए। और इन्हे भगवान बिष्णु के अवतार में शामिल कर लिया गया। बुद्ध ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होने मनोवैज्ञानिक विधि से लोगों को ज्ञान बांटा। भगवान बुद्ध ने कई स्थानों पर जाकर लोगों को अद्भुद ज्ञान दिया। और ये क्षेत्र उनके नाम से प्रसिद्ध हो गए। मध्यप्रदेश में सांची, पचमढ़ी सहित कई स्थानों का संबंध भगवान बुद्ध से रहा है। 
होशंगावाद, रेहटी के करीब तहसील बुधनी भी भगवान बुद्ध की निवास स्थली रहा है। भगवान बुद्ध ने बुधनी क्षेत्र तथा यहां की गुफाओं में निवास किया था। तथा ध्यान लगाकर साधना की तथा अपने ज्ञान के माध्यम से लोगों के अज्ञानरूपी अंधकार को दूर किया। भगवान बु़द्ध के यहां होने से इस स्थल का नाम बुद्ध निवासिनी जाना जाता था। और धीरे-धीरे इसका नाम बुद्ध निवासिनी से बुधनी पड़ गया। 

Thursday, 12 May 2016

जानिए कैसे बना शक्तिपीठ सलकनपुर विजयासन धाम

विजयासन धाम की उत्पत्ति
शुरू से ही लोगों के मन में मां विजयासन धाम की उत्पत्ति, प्राकट्य, मंदिर निर्माण को लेकर जिज्ञाषा रही है। लेकिन अभी तक इसके कोई भी ठोस साक्ष्य और प्रमाण नही मिल पाए हैं। कुछ पंडितो का कहना है कि यहां मां का आसन गिरने से यह विजयासन धाम बना लेकिन विजय शब्द का योग कैसे हुआ, इसका सटीक उत्तर वे नही दे पाएं है। लेकिन हम आपको बता दे कि मां विजायासन धाम के प्राकट्य का का सटीक उत्तर व उल्लेख श्रीमद् भागवत महापुराण में है। जो इस प्रकार है-
सलकनपुर मंदिर 
श्रीमद् भागवत कथा के अनुसार जब रक्तबीज नामक देत्य से त्रस्त होकर जब देवता देवी की शरण में पहुंचे। तो देवी ने विकराल रूप धारण कर लिया। और इसी स्थान पर रक्तबीज का संहार कर उस पर विजय पाई। मां भगवति की इस विजय पर देवताओं ने जो आसन दिया, वही विजयासन धाम के नाम से विख्यात हुआ। मां का यह रूप विजयासन देवी कहलाया।
मंदिर निर्माण के संबंध में पीड़ी दर पीड़ी चली आ रही किवदंती के अनुसार आज से करीब 300 वर्ष पूर्व बंजारो द्वारा उनकी मनोकामना पूर्ण होने पर इस मंदिर का निर्माण किया गया था। मंदिर निर्माण और प्रतिमा मिलने की इस कथा के अनुसार पशुओं का व्यापार करने वाले बंजारे इस स्थान पर विश्राम और चारे के लिए रूके। अचानक ही उनके पशु अदृष्य हो गए। इस तरह बंजारे पशुओं को ढूंडने के लिए निकले, तो उनमें से एक बृद्ध बंजारे को एक बालिका मिली। बालिका के पूछने पर उसने सारी बात कही। तब बालिका ने कहा की आप यहां देवी के स्थान पर पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं। बंजारे ने कहा कि हमें नही पता है कि मां भगवति का स्थान कहां है। तब बालिका ने संकेत स्थान पर एक पत्थर फेंका। जिस स्थान पर पत्थर फेंका वहां मां भगवति के दर्शन हुए।
माँ विजयासन देवी 
 और उन्होने मां भगवति की पूजा-अर्चना की। कुछ ही क्षण बाद उनके खोए पशु मिल गए। मन्नत पूरी होने पर  बंजारों ने मंदिर का निर्माण करवाया। यह घटना बंजारों द्वारा बताये जाने पर लोगों का आना शुरू हो गया और वे भी अपनी मन्नत लेकर आने लगे।
हिंसक जानवरों, चौसठ योग-योगिनियों का स्थान होने से कुछ लोग यहां पर आने में संकोच करते थे। तब स्वामी भद्रानंद ने यहां तपस्या कर चौसठ योग-योगिनियों के लिए एक स्थान स्थापित किया। तथा मंदिर के समीप ही एक धुने की स्थापना की। और इस स्थान को चैतन्य किया है। तथा धुने में एक अभिमंत्रित चिमटा, जिसे तंत्र शक्ति से अभिमंत्रित कर तली में स्थापित किया गया है। आज भी इस धुने की भवूत को ही मुख्य प्रसाद के रूप में भक्तगणों को वितरित किया जाता है।
यहां क्लिक कर जानिए कैसे हुई सलकनपुर पर्वत की उत्पत्ति



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