रेहटी के प्रसिद्ध नर्मदा तट आंवलीघाट के दक्षिण तट पर पर्यटन विभाग के पार्क में स्थापित तपस्या में लीन 51 फीट ऊंचे भगवान महादेव अपना आकार ले रहे हैं।
भगवान महादेव की इस 51 फिट ऊंची भव्य प्रतिमा का निर्माण मंत्री सरताज सिंह जन सहयोग से करवा रहे हैं। जहां कल-कल करती मां नर्मदा के साथ इस प्रतिमा का दर्शन करना मनोहारी होगा। प्रतिमा के होने से आंवलीघाट की खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे।
हालांकि अभी इस प्रतिमा का निर्माण कार्य चल रहा हैं। चारो ओर बांस के ढांचे की सहायता लेकर कलाकार शिव प्रतिमा को आकार दे रहे हैं। इस तरह से इस प्रतिमा का क्लियर फोटो ले पाना असंभव है। लेकिन इसके बनने के पहले ही पाठक इस प्रतिमा का दर्शन कर सके इसके लिए हमने कंप्यूटर के फोटोशॉप से व्यू तैयार किया है। तथा यह पॉलिश के बाद कैसी लगेगी इसका भी ब्यू आप इस साईट पर देख सकते है
अमलेश्वर धाम आंवलीघाट पौराणिक पुरातत्व घाट हैं। यहां पर कई महान तपस्वी ऋषि मुनियों ने तपस्या कर इस घाट को सिद्ध स्थल बनाया है। जिन महा ऋषियों ने अमलेश्ववर धाम आंवलीघाट में तपस्या की है उनके नाम अनंत है। लेकिन भगवान विश्वकर्मा, सूर्यपुत्र बुध देव, मार्कण्डेय ऋषि, धुनि वाले दादा जैसे सेकड़ो संतो और ऋषियों ने अमलेश्वर धाम आंवलीघाट में तपस्या की थी। और नीनोर से बाबरी तक 14 किमी नर्मदा क्षेत्र को सिद्ध स्थल बनाया था। यहीं पर कोकसर में धुनि वाले दादा के गुरू और गुरू भाईयों ने जीवित समाधि ली थी। उनके समाधिक स्थल आज भी सिद्ध स्थल के रूप में पूजित है। इसी प्रकार नर्मदा तट मरदानपुर में 7 फीट ऊंचे योग सिद्ध ऋषि ने तपस्या की थी। उनके स्थान पर आज भी नर्मदा तट मरदानपुर में सिद्ध आश्रम स्थापित है जहां प्रतिवर्ष भंडारा, कन्याभोज का आयोजन सामुहिक रूप से ग्रामीण कराते हैं।
जानिएं यहीं हैं महाभारतकालीन हस्तिनापुर
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