आखिरकार ढाई माह पहले आई वन परिक्षेत्र अधिकारी युवा लडक़ी रितु तिवारी और उनकी टीम ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए चार आरोपियों को धर दबोचा है। और इन आरोपियों को पकडऩे के लिए वन विभाग ने सूझ बूझ का परिचय देकर इन आरोपियों को सलकनपुर और बोरी के बीच एक आश्रम के पास पकड़ा। रितु तिवारी के साथ डिप्टी रेंजर एचसी त्यागी, वन रक्षक आरएन पांडे, देवी सिंह भामर, हरीश माहेश्वरी, राधेश्याम की भूमिका भी सराहनीय रही है। यह सब वन विभाग के एसडीओ वीपी सिंह के मार्गदर्शन में हुआ। क्षेत्रीय टाईकर स्ट्राईक फोर्स होशंगावाद के एसडीओ संदेश माहेश्वरी, वन रक्षक मुकेश द्विवेदी, पदम सिंह राजपूत, अभिषेक उपाध्याय की मेहनत से भी आरोपियों तक वन विभाग पहुंचते हैं। पकड़े गए आरोपियों में ओमप्रकाश इक्के पिता चंपालाल इक्के उम्र 45 वर्ष निवासी ग्राम निमाडदी जिला देवास, सालिगराम पिता जयनारायण इवने उम्र 32 वर्ष ये भी ग्राम निमाड़दी, सतीष मशकोले पिता कैलाश मसकौले उम्र 29 वर्ष निवासी निमाड़दी, प्रेमसिंह चंद्रवंशी पिता भगवान सिंह चंद्रवंशी उम्र 48 वर्ष निवासी सीहोर है। चौकाने वाली बात यह है कि इन आरोपियों में से प्रेमसिंह चंद्रवंशी जो 2004 में रिश्वत के मामले में टर्मिनेट हो चुका है। जो एसआई पुलिस में बालाघाट में पदस्थ था। वहीं सतीष अतिथि शिक्षक है जो मिडिल स्कूल निमाड़दी में पड़ाता है।
चंद्रवंशी सेे बना डीपी मिश्रा
आरोपियों में मुख्य सरगना प्रेमसिंह चंद्रवंशी ने अपराध को अंजाम देने के लिए अपनी जाति ही बदल डाली और वह चंद्रवंशी से डीपी मिश्रा बन गया। सबसे पहले प्रेमसिंह चंद्रवंशी ने अपना नाम डीपी मिश्रा ही बताया था लेकिन वन विभाग की वन परिक्षेत्र अधिकारी रितु तिवारी की कड़ी पूछताछ के बाद वह अपने को रोक नही पाया और उसने कहा कि मैं डीपी मिश्रा नही हूं मेरा नाम प्रेमसिंह चंद्रवंशी है। इन आरोपियों से सख्ती से पूछताछ की जाए तो कई बड़े खुलासे हो सकते हैं। अब देखना यह है कि वन विभाग इन आरोपियों से क्या-क्या कबूल करवाता है।
शेर, तेंदूए की खाल तांत्रिक विद्या के काम आती है
आरोपी सतीष का कहना है कि ये खाल हम सलकनपुर क्षेत्र में एक महात्मा को देने आए थे। इससे पहले हम पकड़े गए। बताया जाता है कि तेंदूए और शेर की खाल तांत्रिक विद्या के काम भी आती है। जो लाखों रूपए में बेची जाती है।
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