निज संवाददाता रेहटी
रेऊगांव में चल रही नर्मदा पुराण कथा के समापन अवसर पर साध्वी अखिलेश्वरी देवी ने मां नर्मदा की त्याग समर्पण की महिमा के साथ कथा को विराम दिया। उन्होने बताया कि श्रृष्टी में सबसे बड़ा विशाल ह्रदय मां का होता है। मां बिना स्वार्थ के अपने जीवन का सबकुछ देकर एक बालक का पालन पौषण करती है ठीक इसी तरह मां नर्मदा का ह्रदय इतना विशाल है। मां नर्मदा के सागर में समाने तक उनमें त्याग और समर्पण ही भरा है। वे एक मां की तरह पालन पौैषण करती आई है। भूमण्डल की अधिष्ठात्री देवी मां नर्मदा जीवन का आधार और जीवन जीने की कला का प्राकृतिक केंद्र है। हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम मां नर्मदा के जल को स्वच्छ, सुंदर और पवित्र बनाए रखेंगे। और इस विश्व की अमूल्य धरोहर को हर हाल में बचाकर रहेंगे। कथा का विराम हवन पुर्णाहुति के साथ हुआ। और भंडारे का आयोजन भी किया गया।
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