निज संवाददाता रेहटी
नर्मदा पवित्र नदियोंं में से एक है। वह युग-युग से मानव को सुख और मोक्ष दिलाती आई है। नर्मदा के पानी के कण कण में ब्रम्ह का वास होता है। जो मनुष्य की दरिद्रता और रोगों का नाश करता है।
यह उद्गार क्षेत्र के रेऊगांव में चल रही नर्मदा पुराण कथा के वाचन करते समय साध्वी अखिलेश्वरी देवी ने कहे। अखिलेश्वरी देवी ने वैज्ञानिक तर्क देते हुए बताया कि पवित्र नदियोंं में से एक नर्मदा में भी बेक्टेरियो फेजेज नामक विषाणु पाया जाता है जो नर्मदा जल को सड़ाने वाले विषाणुओं का नाश करता है। इसलिए नर्मदा का जल कई दिनों तक खराब नही होता। इस तरह नर्मदा जल में भी ब्रम्ह का वास होता है। साथ ही नर्मदा नदी में अन्य विशेषता यह भी है कि यह एकमात्र ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है। नर्मदा परिक्रमा में कोई अमीर, गरीब का भेदभाव नही होता क्योंकि यह पैदल की जाती है। श्री साध्वी जी ने बताया कि गंगा त्रेता में और नर्मदा सतयुग में धरती पर आई। नर्मदा परिक्रमा से सभी तीर्थों का फल मिलता है। नर्मदा परिक्रमा कई महान संतो जैसे तोतापुरी महाराज वासुदेवानंद, नानक, कबीर जी आदि ने की है। आज नर्मदा उन्हीं महान संतो के तपों का फल है। अर्थात आशय यह है कि हमें मां नर्मदा के संरक्षण के लिए व्यापक कदम उठाना चाहिए। और उसके जल को दूषित होने से बचाना चाहिए।
तो भाईयों और बहनों फंडा यह है कि हमें क्षेत्र में हो रही कथाओं में बड़चडक़र हिस्सा लेना चाहिए। क्योंकि इन कथाओं से धार्मिक ज्ञान के साथ साथ कईं चीचों का भी ज्ञान होता है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में भी इन्हीं से संबंधित प्रश्र पूछे जाते हैं। और कथा का श्रवण कर हम काफी ज्ञान हासिल कर सकते हैं। कथा श्रवण से ज्ञान की प्राप्ती के साथ साथ मन की शांति की भी प्राप्ती होती है।
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