वनों की हो रही निरंतर कटाई से क्षैत्र का तामपान पहुंचा 46 के पार
निज संवाददाता रेहटी
इस समय नगर व क्षैत्र का तापमान 45 से अब 46 तक पहुंच गया है। जहां लू के थपेड़े और तेज तपन के कारण लोग घरों से नही निकल पा रहे हैं। तेजी से तापमान बडऩे का कारण लगातार वनों की अवैध दोहन का ही कारण है। यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में तापमान और तेजी से बड़ेगा। जहां तेज गर्मी और भीषण तपन से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। कई जीव गर्मी में प्यास से मर रहे हैं। जिसका मुख्य कारण क्षेत्र में लगातार वनों की कटाई होना बताया जा रहा है। क्षेत्र में हर 2 माह कोई न कोई सागौन लकड़ी चोरी करते हुए पकड़ाता है। जिसका निष्कर्ष यह है कि विंध्य क्षेत्र के सागौन के पेड़ो की संख्या में कमीं आई है। और सघन वन अब विरल वन में तब्दील हो गए हैं। आज से 10 साल पहले बिंध्य क्षैत्र सागौन के पेड़ो से हरा भरा दिखाई देता था। लेकिन आज अगर हम नजर डाले तो दूर दूर तक खाली मैदान दिखाई देते है। जिससे क्षेत्र का पर्यावरण संकट मंडरा रहा है। अगर यही आलम रहा तो धीरे-धीरे पूरी वन संपदा नष्ट होने की कगार पर पहुंच जाएगी। और यहां का तापमान आने वाले समय में और अधिक होने से इंकार नही किया जा सकता।
वन्य जीवों की घट रही आवादी
तेज गर्मी और वन संपदा की कमीं, पानी की कमीं के कारण क्षेत्र के फारेस्ट जोन में वन्यजीवों की संख्या में कमीं देखी जा रही है। पेड़़ो के अभाव में, पानी की कमीं से वन्यजीव अपना दम तोड़ रहे हैं। और गांवों की ओर रुख कर रहे हैं। जिससे वन्यजीवों पर संकट छाया है और वन्यजीवों द्वारा इंसानो पर हमला करने की घटनाएं तेजी से बड़ रही हैं। गत् वर्षों यहां रहने वाले वन्य जीवों में चीता, भालू, सांभर, काला हिरण, गिलहरियां, लंगूर आसानी से देखे जा सकते थे। लेकिन इन वन्य प्राणियों में लगातार मरने की घटना या शिकार होना आम बात हो गई है। ऐसे में लगातार वन्य प्राणियों का वनो से सफाया होना एक चिंता का विषय है। हाल ही में भीषण गर्मी के कारण और जंगलों में पानी नही मिलने से कई वन्य प्राणी बेमौत मौत के मुहं में समा रहे हैं। यही हाल रहा तो जंगलो में वन्य प्राणी ढूंडने से भी दिखाई नही देंगे।
नही है वन अमला गंभीर
लगातार हो रही वनों की कटाई और वन्य प्राणियों की मौत के पीछे कौन जिम्मेदार है। इसके लिए वन अमले को आगे आना चाहिए। लेकिन वन अमला भी वनों और वन्य प्राणियों के प्रति गंभीर नजर नही आ पा रहा है। ऐसे में वनों और वन्य प्राणियों की रक्षा कौन करेगा यह चिंता का विषय है। रेहटी, चकल्दी, सेमरी में पर्याप्त वन अमला है लेकिन लकड़ी चोरों पर भी इक्का दुक्का कार्रवाई ही देखी जाती है। जबकि अभी भी रोज हरे सागौन के पेड़ो को काटकर अवैध लकड़ी का व्यापार नगर रेहटी में तेजी से फल-फूल रहा है। वन विभाग सबकुछ जानता है कि कहां कितनी अवैध लकडिय़ा रोज आती है लेकिन कार्रवाई के नाम पर रिजल्ट शून्य ही निकलता है। ऐसे में वन विभाग ही वनों की कटाई और वन्य प्राणियों की मौत को लेकर जिम्मेदार नही होगा तो वनों का विनाश होना निश्चित है। ऐसे मेंं वन विभाग को चाहिए कि वनों की अवैध कटाई रोके और वन्य प्राणियों की रक्षा के लिए कोई सार्थक कदम उठाए।
वनों की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे
लगातार वनों का विनाश होने के पीछे लकड़ी चोर माफिया है जिनको बार-बार पकडऩे के बाद भी या जैल तक हवा खाने के बाद भी बापस इस गौरख धंधे में लग जाते हैं। और लकड़ी माफिया जंगल का सफाया कर रहे हैं। वहीं जंगल मैदान में तब्दील होने के बाद वहां पर अवैध कब्जे भी होना आम बात हो चली है। जहां तेजी से जंगलों की जगह पर कई जगह कब्जे देखे जा सकते हैं। सागौन की लकड़ी की चोरी करन वालों पर निरंतर कार्रवाई की जा रही है। वन्य प्राणियों की प्यास बुझाने के लिए भी वन विभाग पानी की व्यवस्था कर उनकी प्यास बुझा रहा है।
रितु तिवारी, रेंजर रेहटी
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