मृत गाय को खुले में फेंका जा रहा है कभी भी नगर में फैल सकती है बीमारी
निज संवाददाता रेहटी
गलियों और सडक़ों में घूम रहीं अवारा मवेशियों की लगातार ३ माह से मौते हो रही हैं। अभी तक 300 से अधिक गायों की मौते हो चुकी हैं। यह मौते गाये भूखी मरने से हो रही हैं। और भूखी मरने पर सैकड़ो की संख्या में गायें पॉलीथीन, पुष्ठे, कागज खा रही हैं जिससे प्रतिदिन 3-4 गायेंं मौत के गाल में समा रही हैं। गंदगी भी सबके जीवन पर अभिशाप सावित हो रही है। इन गायों की मौत का आंकड़ा तीन माह बाद भी थमा नही है। इस क्षेत्र में एक भी गौशाला नही होने से गायों की दुर्दशा सबसे बेकार सावित हो रही है। ऐसे में कोई भी सरकार गायों के प्रति गंभीर कदम नही उठा पा रही हैं। फलस्वरूप गायें रोज ही दम तोड़ रही हैं। रोज रोज मरने वाली गायों का जिम्मेदार कौन है यह शासन प्रशासन भी नही बता पा रहा है।
3 माह में 300 गायों की मौत
नगर में अवारा विचरण कर रही गायों की अभी तक 3 माह में 300 से अधिक मौत हो चुकी है। जिसका मुख्य कारण है गायों का भूखी मरना या पॉलीथीन खा लेना है। ऐसे में कोई भी समाज सेवा करने वाले या समाज संगठक गायों की रक्षा के लिए आगे नही आ पा रहे हैं। एक तरफ तो हिंदू धर्म में गौ माता की रक्षा करने का संकल्प दोहराया जाता है कि गाय हमारी माता है और हम सब रोज रोज मूकदर्शक बनकर इनकी मौत का तमाशा देख रहे हैं।
गायों की मौत के बाद खुले में फेंक दिया जाता है
प्रतिदिन गाय मरने के बाद नगर परिषद का सफाई अमला गायों को खुले में फेक जाते हैं। जिस कारण नगर में महामारी फैलने की आशंका से इंकार नही किया जा सकता है। जबकि गायों को गढ्डा खोदकर उन्हें जमीन दफनाना चाहिए। कोलार कॉलोनी , गोंडीगुराडिय़ा, चकल्दी मार्ग पर भी गायों को फेंककर यहां उनकी हड्डीयां आसानी से देखी जा सकती हैं।
नगर परिषद को चाहिए गाय मरने के बाद उसे दफनाए
गायों की दुर्दशा और रोज मर रहीं गायों पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है। सरकार भी कहती है कि हम जगह जगह गौशाला खोलकर गायोंं की रक्षा करेंगे। लेकिन एक भी गौशाला नही होने से गायों की दुर्दशा इतनी खराब है कि इस बात को लेकर उठता बड़ा सवाल का समाधान आगे भी नही दिखाई दे रहा है। वहीं नगर परिषद जो गायों की मौत होने पर खुले में फेंका जाता है उसके स्थान पर गायों को गढ्डा खोदकर उसे दफनाया जाए ताकी किसी प्रकार की बीमारियां नगर में फैल न सके।
पशुपालकों पर कोई कार्रवाई नही
जितनी भी गायें मर रही हैं वह देशी नस्ल की गायेंं है। जो लागत से दूध कम देेने की स्थिति में पशुपालक उन्हें अवारा सड़क़ो पर छोड़ दिया जाता है। जहां नगर परिषद को चाहिए कि जो पशुपालक गायों को सडक़ो पर छोड़ देता है उसके खिलाफ कार्रवाई हो। ताकी असमय गायों की मौत का सिलसिला थम सके। गायों को दफनाने के लिए टेंसिंग ग्राउंड में गढ्डे खोदे गए हैं। गायों को वहां दफनाया जा रहा है। इसके बाद भी गाय मरने के बाद इधर उधर फेंकी जाती है तो उन्हें बंद करवाकर गढ्डों में दफनाया जाएगा।
शैलेंद्र सिन्हा, सीएमओ नगर परिषद रेहटी
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