निज संवाददाता रेहटी
एक ओर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को डिजिटल इंडिया का सपना दिखा रहे हैं। केशलेश व्यवस्था देने का दावा कर रहे हैं। वहीं दूसरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की एटीएम व्यवस्था महीनों से चरमरा गई है। और 90 प्रतिशत एटीएम या तो बंद पड़े हैं या उनमें केश नही होता। रेहटी नगर में भारतीय स्टेट बैंक के दो एटीएम हैं लेकिन महीनों से बंद पड़े हैं। एक एटीएम कभी कभार एक दो घंटे लिए काम भी करता है तो केश नही होता। वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा का एटीएम चालू रहता है। जिसमें 500 से छोटे नोट निकलते ही नही है। छोटे एटीएम से नही निकल रहे हैं। इससे आम आदमी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं नगर में बैंक ऑफ इंडिया का एटीएम भी हमेशा बंद रहता है। जिसे महीनों बीत गए हैं। लेकिन इसे चालू कराने की आवश्यकता महसूस नही की जा रही है। बैंक ऑफ इंडिया के लिए चिल्लर के लिए एटीएम रखा है लेकिन इस एटीएम ने एक दो माह ही काम किया और तभी से बंद पड़ा है। इसी प्रकार केश काउंटर व्यवस्था भी बैंक आफ इंडिया ने की है। लेकिन यह भी बंद है। पासबुक इंट्री मशीन भी बैंक ऑफ इंडिया ने लगा रखी है लेकिन यह भी महीनों सें बंद है। ऐसी चरामराई हुई व्यवस्था में जब भी कोई उपभोक्ता या जनप्रतिनिधि बैंक मैनेजर से बात करता है तो उसे अभद्रता का शिकार होना पड़ता है। और बैंक अभद्र व्यवहार पर उतारू हो जाते हैं। ऐसे में उपभोक्ता परेशान है और अपनी बेईज्जती होने के डर से मैनेजर से भी संवाद नही कर पाता। संवाददाता ने तीनों के बैंकमैनजर से फोन पर संपर्क करना चाहा लेकिन किसी मैनेजर ने एटीएम के संबंध में संतोषजनक जबाव नही दिया और कहते रहे कि मीडिया से बात करने का अधिकार हमें नही है इसलिए हम कुछ नही बोलेंगे। अब आम आदमी अपनी समस्या लेकर किसके पास जाए। कैसे सुधरेगी गांव में एटीएम की व्यवस्था।
नही है सुरक्षा इंतजाम एटीएमों पर
ग्रामीण क्षेत्र के किसी भी एटीएम पर सुरक्षा के इंतजाम नही है। ना ही सीसीटीवी कैमरे काम कर रहे हैं। हरदौल मंदिर के पास में बने भारतीय स्टेट बैंक की एटीएम की मशीन तोड़कर ले जाने के तीन बार प्रयास हो चुके हैं। वहीं केश निकालकर ले जा रहे उपभोक्ताओं के साथ ठगी की 5 से अधिक घटनाएं घटित हो चुकी है। लेकिन इसके बाद भी एटीएम की सुरक्षा के कोई इंतजाम बैंक की ने नही किए। सभी बैंके कागजों पर ही सुरक्षा कर्मचारी चला रही है।
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