निज संवाददाता रेहटी
नर्मदा किनारे बसे गांव धनकोट कीर की महिला सुशीला गणेश निमोदा का ह्रदय परिवर्तन 3 वर्ष पहले उस समय हो गया जब गांव सहित आसपास के गांवों में शराब का सेवन अधिक होने लगा। और ग्रामीणों के उजड़ते परिवार पत्नियों पर अत्याचार और छोटे बच्चो के जीवन बर्बाद को देखते हुए अकेली महिला ने मन में संकल्प लिया कि गांव को नशाखोरी से किसी भी कीमत पर मुक्त कराना है। आज ग्रामीणेां के घर बर्बाद हो रहे हैं उनकी जमीन बिक रही हैं। इसका एक ही मात्र कारण है नशाखोरी। अकेली महिला सुशीला गणेश निमोदा क्या कर सकती थी। लेकिन उन्होने साहस जुटाकर और गांव की २ महिलाओं को अपने साथ जोडक़र नशाखोरी के गांवों को नशामुक्त करना और मां नर्मदा साफ सफाई करना अपना लक्ष्य समझ लिया। और नशामुक्त नर्मदा स्वच्छता समिति का गठन किया। जिसकी प्रदेश प्रभारी श्रीमती निमोदा को बनाया गया। इस अभियान की शुरूआत तीन वर्ष पहले हुई थी जहां धीरे-धीरे इस समाज सेवा के काम में महिलाएं जुड़ती गई और तीन वर्ष के कड़े संघर्ष के बाद उन्होने 15 गांवो को नशामुक्त कर दिखाया। इन गांवों को नशामुक्त करने में जो उन्हे पीड़ा देखने को मिली, वह कम नही थी। नशा करने वाले लोगो ने महिलाओं को भद्दी भद्दी गालियां भी दी। और बीच गांव में अपमानित भी किया लेकिन महिलाओं ने हिम्मत नही हारी और नशाखोरी करने वालों की रिपोर्ट थाने तक में लिखाई। धीरे-धीरे सफलता मिलती रही और ३ वर्ष में नशामुक्ति और नर्मदा स्वच्छता समिति में 7 हजार महिलाएंं अभी तक जुड़ चुकी हैं। जो प्रति रविवार नर्मदा घाटो की साफ सफाई करती है। और सभी महिलाएं पिंक कलर की साड़ी में नजर आती है। जिसे गुलाबी बिग्रेड कहते है। इन महिलाओं ने अभी तक छीपानेर से लेकर बांदराभान तक के घाटो की सफाई कर चुकी है। अगला लक्ष्य इनका अमरकंटक तक का है। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने इनके काम से प्रभावित होकर 148 महिलाओं को 5-5 हजार रूपए के चेक भी प्रोत्साहन रूप में दिए। वहीं नशामुक्ति और नर्मदा स्वच्छता अभियान समिति की प्रदेश प्रभारी सुशिला गणेश निमोदा को ३ बार सम्मानित भी कर चुके हैं। वहीं इस समिति को प्रशासन का पूरा सहयोग मिल रहा है।
शुरूआत में काफी संघर्ष करना पड़ा। फिर भी गांवो को नशामुक्त किया। 3 वर्ष के संघर्ष से अच्छा मुकाम हासिल किया है। जिससे प्रदेश के मुख्यमंत्री भी प्रभावित हुए हैं। अब समिति एक बड़ा स्वरूप ले चुकी है यह अभियान हम महिलाओं का हमेशा ही निरंतर जारी रहेगा।
सुशीला गणेश निमोदा, नशाखोरी और नर्मदा स्वच्छता समिति प्रदेश प्रभारी
नर्मदा किनारे बसे गांव धनकोट कीर की महिला सुशीला गणेश निमोदा का ह्रदय परिवर्तन 3 वर्ष पहले उस समय हो गया जब गांव सहित आसपास के गांवों में शराब का सेवन अधिक होने लगा। और ग्रामीणों के उजड़ते परिवार पत्नियों पर अत्याचार और छोटे बच्चो के जीवन बर्बाद को देखते हुए अकेली महिला ने मन में संकल्प लिया कि गांव को नशाखोरी से किसी भी कीमत पर मुक्त कराना है। आज ग्रामीणेां के घर बर्बाद हो रहे हैं उनकी जमीन बिक रही हैं। इसका एक ही मात्र कारण है नशाखोरी। अकेली महिला सुशीला गणेश निमोदा क्या कर सकती थी। लेकिन उन्होने साहस जुटाकर और गांव की २ महिलाओं को अपने साथ जोडक़र नशाखोरी के गांवों को नशामुक्त करना और मां नर्मदा साफ सफाई करना अपना लक्ष्य समझ लिया। और नशामुक्त नर्मदा स्वच्छता समिति का गठन किया। जिसकी प्रदेश प्रभारी श्रीमती निमोदा को बनाया गया। इस अभियान की शुरूआत तीन वर्ष पहले हुई थी जहां धीरे-धीरे इस समाज सेवा के काम में महिलाएं जुड़ती गई और तीन वर्ष के कड़े संघर्ष के बाद उन्होने 15 गांवो को नशामुक्त कर दिखाया। इन गांवों को नशामुक्त करने में जो उन्हे पीड़ा देखने को मिली, वह कम नही थी। नशा करने वाले लोगो ने महिलाओं को भद्दी भद्दी गालियां भी दी। और बीच गांव में अपमानित भी किया लेकिन महिलाओं ने हिम्मत नही हारी और नशाखोरी करने वालों की रिपोर्ट थाने तक में लिखाई। धीरे-धीरे सफलता मिलती रही और ३ वर्ष में नशामुक्ति और नर्मदा स्वच्छता समिति में 7 हजार महिलाएंं अभी तक जुड़ चुकी हैं। जो प्रति रविवार नर्मदा घाटो की साफ सफाई करती है। और सभी महिलाएं पिंक कलर की साड़ी में नजर आती है। जिसे गुलाबी बिग्रेड कहते है। इन महिलाओं ने अभी तक छीपानेर से लेकर बांदराभान तक के घाटो की सफाई कर चुकी है। अगला लक्ष्य इनका अमरकंटक तक का है। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने इनके काम से प्रभावित होकर 148 महिलाओं को 5-5 हजार रूपए के चेक भी प्रोत्साहन रूप में दिए। वहीं नशामुक्ति और नर्मदा स्वच्छता अभियान समिति की प्रदेश प्रभारी सुशिला गणेश निमोदा को ३ बार सम्मानित भी कर चुके हैं। वहीं इस समिति को प्रशासन का पूरा सहयोग मिल रहा है।
समिति का उत्साह देखते ही बनता है
इस समिति में 7 हजार से अधिक महिला शामिल है। महिलाएं एक विशेष पौशाक में नजर आती है और इनका नशाखोरी तथा स्वच्छता को लेकर अभियान देखते ही बनता है। जिसमें सुक्की बाई, गीता बाई, रेखा बाई, क्षिप्रा बाई, रामबती बाई, गुप्ता बाई, जमना बाई, गौरा बाई, अनिता बाई, तारा बाई, सहित 7000 से अधिक समितियों में महिलाएं शामिल है।
क्या है योजना गुलाबी बिग्रेड की
महिला समिति की महिलाएं तीन समुह में घाटो पर पहुंचेगी। प्रथम समुह की महिलाएं घाट पर कपड़े, नारियल की बूच, गंदगी अन्य सामग्रीयों को उठाकर ट्राली में डालेंगी। दूसरे समुह की महिला घाट पर नहाने वाले आरती करने वाले नारियल प्रसाद चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं को समझाईस देंगी और उन्हे जागरूक करने का काम करेगी। वहीं तीसरे समुह की महिलाएं ध्वनि विस्तारक यंत्रो से अपनी बातो को लोगों तक पहुुंचाएंगी। और जो लोग नर्मदा घाटो पर गंदगी कर रहे हैं उनके पास जाकर गांधीवादी नीति के तहत उन्हे एक फूल देकर समझाईस देंगी। और उनके द्वारा फैलाया गया कचरा उठाकर डस्टबिन में डालेंगी। इस अभियान में 7 हजार महिलाएं अलग-अलग समुह में अलग-अलग घाटो पर एक साथ अभियान चलाएंगी। जिससे नर्मदा घाटो पर तेजी से जागरूकता बड़े और नर्मदा कम से कम प्रदूषित हो। यह कठिन अभियान होने के बाद भी इस चुनौती का सामना करने के लिए महिलाएं तैयार है।शुरूआत में काफी संघर्ष करना पड़ा। फिर भी गांवो को नशामुक्त किया। 3 वर्ष के संघर्ष से अच्छा मुकाम हासिल किया है। जिससे प्रदेश के मुख्यमंत्री भी प्रभावित हुए हैं। अब समिति एक बड़ा स्वरूप ले चुकी है यह अभियान हम महिलाओं का हमेशा ही निरंतर जारी रहेगा।
सुशीला गणेश निमोदा, नशाखोरी और नर्मदा स्वच्छता समिति प्रदेश प्रभारी
No comments:
Post a Comment