Article By ANAND VISHWAKARMA

Monday, 22 October 2018

जानिए कैसे बनती है श्वांस दमा को दूर करने की दिव्य औषधी


निज संवाददाता रेहटी 
हमारे आयुर्वेद में यूं तो श्वांस दमा को दूर करने की कईं विधियां बताई गई है। लेकिन खीर वाली दवा सबसे अधिक कारगर और सरल है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस दवा को केवल शरदपूर्णिमा के दिन ही लेना होता है। जिसके लेने के बाद ही श्वांस का यह रोग दूर होने लगता है। भारत में कईं संस्थाएं और समुह इस दवा को रोगियों को देक र समाज हित में काम कर पुण्य कमा रहे हैं। 
अब हम जानते हैं कि पूर्णिया या विशेषकर शरदपूर्णिमा पर खिलाई जाने वाली खीर कैसे बनाई जाती है और इसमें क्या मिलाया जाता है। 
आचार्य बालकृष्ण जी के अनुसार पीपल की बाहरी छाल को हटाकर तथा आंतरिक छाल को सुखाकर पाउडर कर लें। ५ से १० ग्राम (प्रति व्यक्ति १ या २ ग्राम) चावल की खीर में डालकर उसे ३ या ४ घंटे चंद्रमा की रोशनी में विशेषकर शरदपूर्णिमा के दिन या किसी भी पूर्णिमा के दिन रखकर यह प्रयोग कर सकते हैं। 
इसके पश्चात यह खीर मरीज को खिला सकते हैं।
परहेज

  • जिस पूर्णिमा को दवायुक्त खीर खानी है उस रात्रि को  सोये नही।(रोगी)
  • शराब, धूम्रपान, खटाई युक्त चीजों का सेवन न करें।
  • प्रदूषण युक्त शहरों, कंपनियों में काम न करें।


नोट:- यह खीर कोई भी व्यक्ति खा सकता है, और जीवन भर इस रोग या अन्य रोगो से मुक्ति पा सकता है। 

जानिए क्यों है शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व
हमारे धर्म के ग्रंथों में शरद पूर्णिमा का विशेष उल्लेख मिलता है। इस बार मंगलवार के दिन शरद पूर्णिमा पडऩे से इसका महत्व और भी बड़ गया है। इस दिन दान और स्नान का विशेष महत्व होता है। मान्यता अनुसार इस दिन रात को मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती है। और जो जाग रहा होता है वहां ठहरती हैं। कुछ लोग इस दिन कोजागरी(रात्रि जागरण) व्रत रखते हें।  इसलिए इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इसलिए इस धन धन वैभव बड़ाने के लिए लक्ष्मी कुबैर की भी पूजा की जाती है। और रात्रि में खीर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है। 





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