Article By ANAND VISHWAKARMA

Sunday, 17 September 2017

अधेड़ ने बनाया मासूम छात्रा को हवस का शिकार

निज संवाददाता रेहटी anand
बड़ते घोर कलयुग में अब मासूम बच्चियां कहीं भी सुरक्षित नही है। छोटी बच्चियों को दुष्कर्म के शिकार बनाते हुए आए दिन यह बातें सुनने को मिलती है। जो एक जघन्य अपराध को जन्म देती है। ऐसे लोगों को फांसी की सजा भी मिले तो कम है। ऐसी  ही घटना नगर के एक अधेड़ ने मानवता  को तार तार करते हुए कक्षा 7वीं में पढऩे वाली 12 वर्षीय एक मासूम को बाथरूम में बुलाकर उसे अपना हवस का शिकार बनाया। और मासूम को  इतना डरा दिया कि वह दो दिन तक किसी को बता नही पाई। जब पीड़ा होने पर आपबीती अपने मम्मी पापा को बताई जहां रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर उस पर धारा 376 पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। घटना गांधी चौक के पास की बताई जाती है। 

थाना रेहटी के टीआई रजनीकांत दुवे ने बताया कि गांधी चौक के पास रहने वाला आरोपी रितेश गुप्ता पिता इमरतलाल गुप्ता 40  वर्ष जो दुष्कर्म की शिकार छात्रा के मकान में किराये से रहता है। जब आरोपी के बच्चों के साथ १२ वर्षीय छात्रा छत पर खेल रही थी। तब आरोपियों ने इसे बुलाकर बाथरूम में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। छात्रा को इतना डरा धमका दिया कि वह किसी को नही बताए। जब पीड़ा बडऩे पर उसने अपने मां-बाप को बताया तो अधेड़ का असली चेहरा सामने लाने के लिए उसके पिता छात्रा को लेकर रात्रि में ही थाने आए और मासूम छात्रा ने अपने साथ हुए दुराचार को पुलिस को बताया। टीआई श्री दुवे के अनुसार आरोपी ने घटना के दो दिन पहले भी छात्रा के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास किया था। जहां बीती रात रिपोर्ट दर्ज करने पर आरोपी को किराए के मकान से पुलिस ने दबोच लिया। जहां पीडि़त छात्रा का मेडिकल पुलिस द्वारा होशंगावाद में करवाया गया। जब पुलिस छात्रा को रात्रि 12:30 बजे बुदनी ले गई तब वहां की महिला चिकित्सक ने दरबाजा तक नही खोला और अपने पति को बाहर भेजकर यह कहलवा दिया कि मैडम घर पर नही है। जबकि डाक्टर घर के अंदर ही थी। तब जाकर पुलिस होशंगावाद जाकर छात्रा का मेडिकल करवाया गया। गौरतलब है कि रेहटी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 50 साल बाद भी महिला डाक्टर की नियुक्ति नही हो सकी है। महिलाओं से जुड़ी समस्याओ को लेकर सभी को बाहर जाना पड़ता है। नगर अस्पताल में एक महिला डाक्टर का होना अति आवश्यक है। 
क्या होता है पास्को एक्ट
पास्को शब्द अंग्रेजी शब्द से आता है।  
इसका पूर्णकालिक मतलब होता है प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फार्म सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012। 
इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है।  
यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। 
वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है।
ये लगती हैं धाराएँ-
इस अधिनियम की धारा 4 के तहत वो मामले शामिल किए जाते हैं जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो। 
इसमें सात साल की सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है। 
पास्को एक्ट की धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुंचाई गई हो। 
इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 
इसी प्रकार पास्को अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है इस धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। 
पास्को कानून की धारा 3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है। 
जिसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है। 
18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है। 
यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है।  
इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है।

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