इस घोर कलयुग में बहन अपने भाई पर ही विश्वास कर सकती है। लेकिन अगर भाई ही उसके विश्वास को तार-तार कर दे और अपनी बहन के साथ दुष्कर्म करे तो अब बहनों का भाईयों पर से यह विश्वास उठने लगेगा। ऐसा ही वाक्या को कलंकित कर एक ममेरे भाई ने अपनी बहन के साथ सलकनपुर जंगल में ले जाकर दुष्कर्म किया। जो आपस में बुआ मामा का रिश्ता होने से आरोपी की पीडि़ता बहन लगती है। रेप पीडि़ता को बुदनी मेडिकल कराने ले जाने पर यहां पदस्थ महिला डाक्टर सालू सक्सेना की लापरवाहियां उजागर हुई है। लापरवाह महिला चिकित्सक की शिकायत बीएचएमओ को की गई है।
टीआई रंजनीकांत दुवे के अनुसार नीनोर निवासी ब्रजकिशोर केवट ग्राम नीनोर उम्र 20 वर्ष ने अपनी ही बुआ की 14 वर्षीय नाबालिग के साथ सलकनपुर जंगल में ले जाकर दुष्कर्म किया। बताया जाता है कि आरोपी के बुआ फुफाजी राजु नगर भोपाल से नवरात्र में प्रसादी की दुकान लगाने सलकनपुर और आंवलीघाट आए थे। इनके परिवार के साथ इनकी नागलिग लडक़ी भी साथ थी। जहां आरोपी ने नाबालिग को विश्वास में लेकर और बाईक पर बैठाकर सलकनपुर के जंगल में ले गया। जहां उसके साथ आरोपी ने मुहं काला किया। घटना 25 सितंबर शाम 5 बजे की है। जहां पीडि़ता ने रेहटी थाने में दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया। जहां पुलिस ने पास्को एक्ट और दुष्कर्म का मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। बताया जाता है कि एक सप्ताह पूर्व ही नगर की एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म हुआ था जो आरोपी अभी जेल में है। रेहटी थाने के तहत जो दुष्कर्म के मामले होते हैं और रेहटी अस्पताल में कोई महिला डॉक्टर नही होने से बुदनी ले जाना पड़ता है। बुदनी में पदस्थ महिला डाक्टर सालू सक्सेना मेडिकल करने में आना काना करती हैं। और इस मामले में भी पुलिस को 2 घंटे तक इंतजार करवाया। उसके बाद बामुश्किल पीडि़ता का मेडिकल हो सका। इसके पहले भी नाबालिग का मेेडिकल कराने के लिए बुदनी ले जाया गया था। जहां महिला चिकित्सक ने अपने पति को बाहर भेजकर बुलवा दिया कि मैडम घर पर नही है। और होशंगावाद दूसरे जिले में ले जाकर पीडि़ता का मेडिकल क राया गया था। इस संबंध में बीएमओ डॉ बीबी देशमुख से चर्चा पर पता चला कि मेरे संज्ञान में आने के बाद मेडिकल करवा दिया गया था। वहीं सीएमएचओ आरके गुप्ता सीहोर का कहना है कि जब ऐसी परिस्थिति निर्मित होती है तो बीएमओ बुदनी को मेरे संज्ञान में लाना चाहिए। ताकी लापरवाह महिला डाक्टर पर कार्रवाई हो सके।
क्या होता है पास्को एक्ट
पास्को शब्द अंग्रेजी शब्द से आता है।
इसका पूर्णकालिक मतलब होता है प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फार्म सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012।
इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है।
यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।
वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है।
ये लगती हैं धाराएँ-
इस अधिनियम की धारा 4 के तहत वो मामले शामिल किए जाते हैं जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो।
इसमें सात साल की सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है।
पास्को एक्ट की धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुंचाई गई हो।
इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
इसी प्रकार पास्को अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है इस धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
पास्को कानून की धारा 3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है।
जिसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है।
18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है।
यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है।
इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है।