निज संवाददाता रेहटी
नगर में पुरातत्व संपदाओं की अनदेखी वर्षों से चली आ रही है। इसी अनदेखी के कारण कई पुरातत्व धरोहरें अस्तित्व खोती जा रही है। और कईयों पर अतिक्रमणकारियों ने अतिक्रमण कर उन्हें क्षति पहुंचाकर आवास बना दिए हैं। लेकिन प्रशासन इन पुरातत्व धरोहरों से अतिक्रमण नही हटा पाया है। जबकि यह पुरातत्व धरोहर ५०० साल से भी अधिक पुरानी बताई जाती है। ऐसी ही एक धरोहर जागीरदार दलीप सिंह की छतरी है जिसे ५०० साल से भी अधिक पुराना बताया जाता है। लेििकन इस धरोहर देखरेख न तो प्रशासन कर रहा है। और ना ही जागीरदार परिवार ऐसे में अतिक्रमणकारी इस पुरातत्व धरोहर के आसपास अतिक्रमण कर आवास बना रहे है। इसी पुरातत्व धरोहर के सामने जागिरदारों का एक किला था। जिसमें पुरातत्व बाबड़ी थी। इस पुरातत्व बाबड़ी की भूमि पर भी अतिक्रमणकारियों ने अतिक्रमण कर आवास बना लिए हैं। जिसे जागिरदार अपनी भूमि बता रहे हैं। लेकिन अतिक्रमणकारी बलपूर्वक अतिक्रमण कर इन पुरातत्व धरोहरों को धीरे-धीरे नष्ट कर रहे हैं। इस ओर प्रशासन ने ध्यान नही दिया तो ये अपना अस्तित्व खो देंगी।
नगर में ये हैं पुुरातत्व धरोहरे
नगर में पुरातत्व धरोहर के रूप में जागिरदार दलीप सिंह की छतरी, बाबड़ी, हनुमान चौैक का बजरंग मंदिर, भब्बड़ का पुरातत्व बजरंग मंदिर, नीमखेड़ी का मनोकामना हनुमान मंदिर, फूटी बाबड़ी क्षत्रिय मोहल्ले का हनुमान मंदिर, इटावा का इटावा सरकार मंदिर सहित ५ दरगाएं भी पुरातत्व धरोहरें हैं। जिनमें सिपाही बाबा की दरगाह, चमेली बाबा की दरगाह, पीर बाबा की दरगाह और इटावा में दरगाह पुरातत्व स्थलोंं में शामिल हैं। वहीं राधाकृष्ण मंदिर के सामने जागिरदारों की गड़ी भी पुरातत्व स्थल में शामिल है। इसमें जागिरदार परिवार ही निवास करर रहे हैं। लेकिन इन दरगाहों पर मानने वाले लोगोंं ने कुछ नवीनीकरण कराकर इन्हें सुरक्षित करा है। लेकिन अभी भी आवश्यकता है पुरातत्व धरोहरों को संजोने की।
पुरातत्व धरोहर कहां कहां है इसकी जांच कराकर इनको कैसे सुरक्षित और संरक्षित रखा जा सकता है। इस पर प्रशासन से चर्चा कर कदम उठाएंगे।
आरडी शर्मा, मुख्य नगर परिषद अधिकारी
नगर में पुरातत्व संपदाओं की अनदेखी वर्षों से चली आ रही है। इसी अनदेखी के कारण कई पुरातत्व धरोहरें अस्तित्व खोती जा रही है। और कईयों पर अतिक्रमणकारियों ने अतिक्रमण कर उन्हें क्षति पहुंचाकर आवास बना दिए हैं। लेकिन प्रशासन इन पुरातत्व धरोहरों से अतिक्रमण नही हटा पाया है। जबकि यह पुरातत्व धरोहर ५०० साल से भी अधिक पुरानी बताई जाती है। ऐसी ही एक धरोहर जागीरदार दलीप सिंह की छतरी है जिसे ५०० साल से भी अधिक पुराना बताया जाता है। लेििकन इस धरोहर देखरेख न तो प्रशासन कर रहा है। और ना ही जागीरदार परिवार ऐसे में अतिक्रमणकारी इस पुरातत्व धरोहर के आसपास अतिक्रमण कर आवास बना रहे है। इसी पुरातत्व धरोहर के सामने जागिरदारों का एक किला था। जिसमें पुरातत्व बाबड़ी थी। इस पुरातत्व बाबड़ी की भूमि पर भी अतिक्रमणकारियों ने अतिक्रमण कर आवास बना लिए हैं। जिसे जागिरदार अपनी भूमि बता रहे हैं। लेकिन अतिक्रमणकारी बलपूर्वक अतिक्रमण कर इन पुरातत्व धरोहरों को धीरे-धीरे नष्ट कर रहे हैं। इस ओर प्रशासन ने ध्यान नही दिया तो ये अपना अस्तित्व खो देंगी।
नगर में ये हैं पुुरातत्व धरोहरे
नगर में पुरातत्व धरोहर के रूप में जागिरदार दलीप सिंह की छतरी, बाबड़ी, हनुमान चौैक का बजरंग मंदिर, भब्बड़ का पुरातत्व बजरंग मंदिर, नीमखेड़ी का मनोकामना हनुमान मंदिर, फूटी बाबड़ी क्षत्रिय मोहल्ले का हनुमान मंदिर, इटावा का इटावा सरकार मंदिर सहित ५ दरगाएं भी पुरातत्व धरोहरें हैं। जिनमें सिपाही बाबा की दरगाह, चमेली बाबा की दरगाह, पीर बाबा की दरगाह और इटावा में दरगाह पुरातत्व स्थलोंं में शामिल हैं। वहीं राधाकृष्ण मंदिर के सामने जागिरदारों की गड़ी भी पुरातत्व स्थल में शामिल है। इसमें जागिरदार परिवार ही निवास करर रहे हैं। लेकिन इन दरगाहों पर मानने वाले लोगोंं ने कुछ नवीनीकरण कराकर इन्हें सुरक्षित करा है। लेकिन अभी भी आवश्यकता है पुरातत्व धरोहरों को संजोने की।
पुरातत्व धरोहर कहां कहां है इसकी जांच कराकर इनको कैसे सुरक्षित और संरक्षित रखा जा सकता है। इस पर प्रशासन से चर्चा कर कदम उठाएंगे।
आरडी शर्मा, मुख्य नगर परिषद अधिकारी