Article By ANAND VISHWAKARMA

Saturday, 13 August 2016

गौ-रक्षा के लिए उठने लगी है आवाज

प्रदेश में एक नयी समस्या उभर कर सामने आ रही है। वह है गायों की सुरक्षा की समस्या। प्रतिदिन सेकड़ो की संख्या में गायों की सडक़ दुर्घटना में मौत हो रही है, हजारो की संख्या में गायें अफंग हो रही है। इस तरह से मध्यप्रदेश में गायों की बहुत बुरी हालत है। इसमें मुख्य रूप से गलती पशु पालकों की होती है। अगर वे धर्म पर विश्वास करते हैं तो उन्हे यह मानना चाहिए कि सडक़ दुर्घटना में गाय की मौत और इस पाप के  जिम्मेदार वे खुद है। हालांंकि हम इस समस्या क ो जन भागीदारी से दूर कर सकते हैं। लेकिन जन भागीदारी भी क्या करे जब गायों क ी सुरक्षा और देखरेख के लिए  नगर या गावं गौशाला तक की जगह न हो। जिस तरह से बाघ की संख्या में गिरावट आई है ठीक उसी तरह गौवंश में भी गिरावट आई है। हालांकी बाघ खाद्य श्रंखला का मुख्य अंग होता है लेकिन गाय भी पर्यावरण को संतुलित और स्वस्थ बनाने में सक्षम है। गाय ही वह प्राणी होता है तो आक्सीजन ग्रहण करता है लेकिन श्वास छोड़ते समय भी आक्सिजन का अधिकतम प्रतिशत होता है। जो किसी ओर पशु में संभव नही है। 

रेडियम की पट्टी नही है समस्या का समाधान
कई जागरूक संगठनों ने गायों की सुरक्षा के लिए उनके सींगों पर रेडियम की पट्टी बांधकर उन्हें दुर्घटना से बचाने का आधुनिक तरिका निकाला है। लेकिन यह गायों और यातायात समस्या का पूर्णरूपेण समाधान नही है। 
युवाओं ने की उचित समाधान की मांग
नगर के सेकड़ो युवाओं को गायों की दुर्दशा देखी न गई और आक्रोशित युवाओं ने एक रैली के माध्यम से रेहटी नगर परिषद अध्यक्ष और तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। जिसमें बताया गया कि वे गाय को दुर्घटना से बचाने का ठोस कदम उठाया जाए। वे एक बार गाय के बारे में विचार करे। तहसीलदार राजेंद्र जैन ने बताया कि कुछ ही दिनों मे इस समस्या को समाधान करने का प्रयास करेंगे। और गायों के लिए उचित गौशाला, पौषण आहार की व्यवस्था करेंगे। जहां उन्होने तुरंत कार्रवाई करते हुए अस्थायी रूप से गायों को दशहरा मैदान में एकत्रित करवाया गया है। एक हजार से अधिक गायों को एकत्रित करने में युवाओं और बच्चो ने भरपूर सहयोग दिया है।
पशु पालकों द्वारा गायों को छोडऩे का एक कारण यह भी
बहुत कम लोग ही जानते हैं कि पशुपालकों द्वारा गायों को छोडऩे का कारण् सिर्फ दूध देना नही है। मुख्य कारण यह है कि इनमें से अधिकतर गाय ऐसी हैं जो बांझ है जो जन नही सकती है। इस कारण भी पशु पालकों ने गायों को छोड़ दिया है। 



Tuesday, 9 August 2016

जानिए क्षेत्र के मुख्य लुभावने जल प्रपातों के बारे में


बरसात के मौसम में पर्यटकों को लुभाने के लिए बुदनी विधानसभा क्षेत्र, मां विजयसान दरबार, टपकेश्वर धाम और रातापानी अभ्यारण्य क्षेत्र के कई पहाड़ी झरने, जल प्रपात आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

और भारी संख्या में पर्यटकों को लुभा रहे हैं। इन लुभावने झरनों पर निर्मल कल कल करता चल सहज ही पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है। जिसमें सबसे आकर्षक दृश्य मां विजयासन दरबार के समीप इटारसी डेम का वेस्ट वेयर वाटर फाल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। दूध की तरह सफेद पानी में सेकड़ो पर्यटक पर्यटन का लाभ उठा रहे हैं। वहीं बडा भदभदा शिव मंदिर के पास दूर से ही हरियाली पहाड़ी का आकर्षण लिए पर्यटकों को लुभा रहा है। लेकिन इस झरनेे तक पहुंच मार्ग नही होने के कारण यहां पर्यटक कम पहुंच पाते हैं। दूर से ही इसकी खूबसूरती को निहारना पर्यटको की मजबूरी है। टपकेश्वर महादेव का पहाड़ी जल प्रपात कई वर्षों से पर्यटको को लुभा रहा है। लेकिन यहां पर भी पहुंच मार्ग नही होने के कारण बड़ी संख्या में पर्यटक नही पहुंच पाते हैं। क्योंकि यह जल प्रपात घनी पहाड़ी के बीचोबीच है। रातापानी अभ्यारण्य क्षेत्र का देलाबाड़ी जल प्रपात सडक़ किनारे होने के कारण और रातापानी अभ्यारण्य क्षेत्र में जंगल कैंप के पास होने क ारण अधिक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। और यहां सेकड़ो पर्यटक पहुंच रहे हैँं। जबकि बरसात में रातापानी अभ्यारण्य क्षेत्र में पर्यटकों का प्रवेश बंद है। इसके बाद भी सेकड़ो पर्यटक जल प्रपात और नेसर्गिक पहाड़ी क्षेत्र का आनंद लेने के लिए देलाबाड़ी पहुंच रहे हैं। इसी प्रकार कोलार डेम, वीरपुर भी पर्यटकों को लिए लुभावना, आकर्षण का कें द्र बना हुआ है। जबकि यहां पहुंचने के लिए मालीबायां से वीरपुर तक सडक़ मार्ग खराब है। वहीं बिलकिसगंज से वीरपुर डेम तक सडक़ मार्ग कई जगह से उखड़ा हुआ है। तब भी बड़ी संख्या में पर्यटक कोलार डेम पहुंच रहे हैं। 

Monday, 8 August 2016

जल्द अपना आकार ले रहे हैं आंवलीघांट के महादेव

रेहटी के प्रसिद्ध नर्मदा तट आंवलीघाट के दक्षिण तट पर पर्यटन विभाग के पार्क में स्थापित तपस्या में लीन 51 फीट ऊंचे भगवान महादेव अपना आकार ले रहे हैं।
 भगवान महादेव की इस 51 फिट ऊंची भव्य प्रतिमा का निर्माण मंत्री सरताज सिंह जन सहयोग से करवा रहे हैं। जहां कल-कल करती मां नर्मदा के साथ इस प्रतिमा का दर्शन करना मनोहारी होगा। प्रतिमा के होने से आंवलीघाट की खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे। 
हालांकि अभी इस प्रतिमा का निर्माण कार्य चल रहा हैं। चारो ओर बांस के ढांचे की सहायता लेकर कलाकार शिव प्रतिमा को आकार दे रहे हैं। इस तरह से इस प्रतिमा का क्लियर फोटो ले पाना असंभव है। लेकिन इसके बनने के पहले ही पाठक इस प्रतिमा का दर्शन कर सके इसके लिए हमने कंप्यूटर के फोटोशॉप से व्यू तैयार किया है। तथा यह पॉलिश के बाद कैसी लगेगी इसका  भी ब्यू आप इस साईट पर देख सकते है 
ऋषि मुनियों की तपस्या स्थली रहा  है अमलेश्वर धाम
अमलेश्वर धाम आंवलीघाट पौराणिक पुरातत्व घाट हैं। यहां पर कई महान तपस्वी ऋषि मुनियों ने तपस्या कर  इस घाट को सिद्ध स्थल बनाया है। जिन महा ऋषियों ने अमलेश्ववर धाम आंवलीघाट में तपस्या की है उनके नाम अनंत है। लेकिन भगवान विश्वकर्मा, सूर्यपुत्र बुध देव, मार्कण्डेय ऋषि, धुनि वाले दादा जैसे सेकड़ो संतो और ऋषियों ने अमलेश्वर धाम आंवलीघाट में तपस्या की थी। और नीनोर से बाबरी तक 14 किमी नर्मदा क्षेत्र को सिद्ध स्थल बनाया था। यहीं पर कोकसर में धुनि वाले दादा के गुरू और गुरू भाईयों ने जीवित समाधि ली थी। उनके समाधिक स्थल आज भी सिद्ध स्थल के रूप में पूजित है। इसी प्रकार नर्मदा तट मरदानपुर में 7 फीट ऊंचे योग सिद्ध ऋषि ने तपस्या की थी। उनके स्थान पर आज भी नर्मदा तट मरदानपुर में सिद्ध आश्रम स्थापित है जहां प्रतिवर्ष भंडारा, कन्याभोज का आयोजन सामुहिक रूप से ग्रामीण कराते हैं। 
जानिएं यहीं हैं महाभारतकालीन हस्तिनापुर