Article By ANAND VISHWAKARMA

Friday, 23 February 2018

पढ़ाई की उम्र में सलकनपुर में भीख मांग रही बेटीयां

निज संवाददाता रेहटी
यू तो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का अभियान पूरे देश में चल रहा है। लेकिन क्षेत्र के पर्यटन स्थल सलकनपुर में ये बच्चियां पढ़ाई की उम्र में भीख मांगने पर मजबूर हो रही है। हालात यह है कि इन बच्चियों को पढ़ाई का थौड़ा भी ज्ञान नही है। उनके घरो में पालको द्वारा भीख मांगने की शिक्षा दी जा रही है। जिससे इनका भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है। इन्हीं बच्चियों से बात करने पर पता चलता है कि इन्हे बातचीत की भी समझ नही है। इनको अनार आम, एबीसीडी, दो का पहाड़ा का भी ज्ञान नही है। पालको के कहने पर ही ये जबरदस्ती रोककर श्रद्धालुओं से भीख मांगने का प्रयास करने लगती है और उनके भीख से मना करने पर अभद्र भाषा का प्रयोग करती है। हालात यह है कि इन बच्चियो की संख्या इक्का दुक्का नही दर्जनो में है। अगर 14 साल के कम उम्र के बालको को भी जोड़ लिया जाए तो यह संख्या में सेकड़ो में पहुंच जाती है। 
धार्मिक स्थलो पर भीख मांगना कानुनन अपराध
एक ओर मप्र सरकार बाल सुधार कल्याण, बाल सुधार बोर्ड जैसे संगठन बनाकर भिक्षा वृत्ति पर रोक लगवा रही है। वहीं दूसरी ओर मां विजयासन धाम सलकनपुर में बड़ी संख्या में ये बाल भिक्षावृत्ति करने वाले परिवार के सदस्य खुलेआम श्रद्धालुओं को रोक-रोककर भिक्षावृत्ति करते है। और प्रशासन आंख मूंदकर इन्हें देख रहा है। जबकि ५ बार प्रशासन के भिक्षावृत्ति रोकने वाले संगठन, बालको से भिक्षावृत्ति कराने वाले लोगो के खिलाफ अभियान चलाने वाले संगठन कार्रवाई कर चुके है। लेकिन सलकनपुर की भिक्षावृत्ति बंद नही हुई है। भिक्षावृत्ति करने वालो में 4 साल की बच्ची से लेकर 55 साल तक की महिलाएं शामिल है। 

सलकनपुर में भिक्षावृत्ति रोकने के कई बार प्रयास ट्रस्ट समिति ने भी किए। शासन को लिखा भी। प्रशासनिक अमले को अवगत कराया। लेकिन भिक्षावृत्ति पर नियंत्रण नही हो पा रहा है। भिक्षा मांगने वाले को सीड़ी मार्ग, मंदिर प्रांगण और रास्ते से हमेशा हटाने का प्रयास करते है। 
महेश उपाध्याय, देवी ट्रस्ट समिति सलकनपुर

प्रशासन भिक्षावृत्ति या बाल भिक्षावृत्ति रोकने के निरंतर प्रयास करता रहता है। और उच्चाधिकारियों को भी समस्या से अवगत कराया है। वहीं परिजनो को बार-बार बुलाकर समझाईस दी जा रही है। 
राजेंद्र जैन, तहसीलदार रेहटी


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