निज संवाददाता रेहटी
रेहटी में चल रही नर्मदा पुराण कथा में साध्वी श्री अखिलेश्वरी देवी ने नर्मदा के तीर्थों की महिमा बताते हुए कहा कि यहां का हर तीर्थ अति पूजनीय है। दीदी मां ने कुंभलेश्वर तीर्थ का नाम लेते हुए बताया कि नर्मदा के दक्षिणी तट पर गांव लम्हेटी में राम लक्ष्मण द्वारा स्थापित एक जिलहरी में दो पिंडी कुम्भेश्वर तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध हुई। जहां त्रेता युग में भगवान राम और लक्ष्मण ने ब्रम्ह हत्या के दोष से मुक्ती के लिए २४ वर्षों तक शिव की आराधना की और ब्रम्ह हत्या के दोष से मुक्त हुए। रेवाखंड में ही हनुमानजी ने ने ब्रम्ह हत्या से मुक्ति के लिए १०० वर्षों तक तप किया था। दीदी मां ने आगे बताया कि जबलपुर में कामधेनू की तपोस्थली के बारे में बताया कि यह स्थान आज तिलवारा में गौ सेवा केंद्र के नाम से जाना जाता है। जिसे जैन पंथ के परम तपस्वी संत आचार्य विधा सागर महाराज ने स्थापित किया है। रेवाखंड में ही राजा मनु ने अपने पिता का श्राद्ध किया था। इस तरह नर्मदा तट पर किया गया श्राद्ध तीर्थ से बड़ा माना गया है। छटवे दिन की कथा में बड़ी संख्या में महिला पुरुष श्रोता नर्मदा पुराण सुनने पहुंचे। जहां आज बुधवार को कथा का समापन है। साध्वी श्री ने मां नर्मदा की स्वच्छता को लेकर सभी लोगों से जाग्रत होने की बात कही। उन्होने बताया कि आज मां नर्मदा में कई तटो के किनारे लगे उद्योग, रेत माफिया और उदासीन समाज मां नर्मदा के लिए संकट बन गए हैं। इनके कारण अमृत समान जल में जहर घोला जा रहा है। जिन पर विराम लगना चाहिए। आज के समय मां नर्मदा के जल का अस्तित्व बनाए रखना और जल को शुद्ध रखना ही मां नर्मदा की असली पूजा है।
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